मुंबई : रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत रहने के अपने पूर्व के अनुमान को बरकार रखा पर आगाह किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी से भारत पर असर हो सकता है यह अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में तेजी के कारण देश की आर्थिक गतिविधियों में मिले आवेग को रोक सकता है. आरबीआई ने आज जारी इस वित्त वर्ष की अपनी तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा कि सामान्य मानसून से कृषि वृद्धि तथा ग्रामीण मांग में बढोतरी और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से उपभोक्ता मांग में बढोतरी से वृद्धि दर तेज होने की उम्मीद है.
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, ‘मौजूदा उदार मौद्रिक नीति और नकदी की संतोषजनक स्थिति से भी सकल मांग में तेजी के लिए अनुकूल वातावरण मिलना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि हालांकि बहुपक्षीय एजेंसियों (मुद्राकोष-विश्वबैंक आदि) ने वैश्विक वृद्धि के अनुमानों में निरंतर कमी की है और विश्व व्यापार में नरमी बनी हुई है. इससे वाह्य मांग में कमी आ सकती है.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह 2016-17 के दौरान सकल मूल्यवर्द्धित (जीवीए) वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है क्योंकि इस वक्त अर्थव्यवस्था के समक्ष जोखिम इस स्तर के आस-पास संतुलित हैं.’
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