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उर्जित पटेल को ही मोदी-जेटली ने क्यों सौंपी आरबीआइ की कमान?

नयी दिल्ली : पिछले कई सप्ताह से आरबीआइ के अगलेगवर्नर को लेकर चल रहे कयासों पर आज विराम लग गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसी बाहरी को नहीं बल्कि आबीआइ के अंदर के ही आदमी उर्जित पटेल को आरबीआइ का अगला गवर्नर बनाने का निर्णय किया है. उर्जित पटेल मौजूदा गवर्नर […]

नयी दिल्ली : पिछले कई सप्ताह से आरबीआइ के अगलेगवर्नर को लेकर चल रहे कयासों पर आज विराम लग गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसी बाहरी को नहीं बल्कि आबीआइ के अंदर के ही आदमी उर्जित पटेल को आरबीआइ का अगला गवर्नर बनाने का निर्णय किया है. उर्जित पटेल मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन की ही तरह अपेक्षाकृत युवा हैं और दुनिया के ख्यात विश्वविद्यालयों व आर्थिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं. आखिर उर्जित पटेल में मोदी-जेटली को वह कौन-सी ऊर्जा नजर आयी कि आखिरकार उनके नाम पर ही मुहर लगी. हालांकि नये आरबीआइ चीफ को लेकर जिस तरह सरकार निश्चिंत भाव में थी, उससे पखवाड़े भर पहले ही यह स्पष्ट हो गया था कि अब कम से कम किसी बाहरी शख्स को आरबीआइ की कमान नहीं मिलने जा रही है. उर्जिट पटेल के नाम पर मुहर लगाना रघुराम राजन के सुधारवारी प्रयासों को ही जारी रखने का ही संकेत भी है, क्योंकि पटेल ही राजन के सबसे करीबी सहयोगी हैं. राजन से आरबीआइ के भविष्य के बारे में सरकार का संभवत: विमर्श भी हुआ होगा. राजन ने पिछले दिनों कहा भी था कि उन्होंने अपने 90 प्रतिशत काम पूरे कर लिये और उनके काम का असर अगले चार-पांच सालों में देश में दिखेगा.

वह उर्जित पटेल ही थे, जिन्होंने रघुराम राजन के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में संतुलन बनाये रखा. राजन के साथ उन्होंने दबावों के बावजूद मौद्रिक नीति को लेकर अद्भुत संतुलन बनाये रखा. रिजर्व बैंक की टीम राजन की सबसे बड़ी उपलब्धि मुद्रास्फीति नियंत्रण को ही माना जाता है.उन्होंने राजन केसाथ देश की आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने के लिए वह सबकुछ किया जो वह एक डिप्टी गवर्नर के रूप में कर सकते थे.

नये आरबीआइ चीफ के रूप में उन्हें कई चुनौतियों से दो-चार होना होगा. उन्हें सबसे पहले मौद्रिक नीति तय करने के लिए हीसधे कदम उठाने होंगे. मालूम हो कि सरकार ने मौद्रिकनीति समीक्षा से रिजर्व बैंक का एकाधिकार एक तरह से समाप्त कर दिया है और आगे से इसे छह सदस्यों की समिति तय करेगी, जिसमें आरबीआइ चीफ सहित उसके तीन अधिकारी व सरकार के द्वारा नियुक्त तीन अधिकारी सदस्य होंगे. उन्हें मुद्रास्फीति को भी नियंत्रित करना होगा, जिसे सरकार ने हाल के संसद सत्र के दौरान संवैधानिक जामा पहना दिया है, क्योंकि आने वाले चुनावों के मद्देनजर यह सरकार के राजनीतिक नफे-नुकसान से जुड़ा मसला है. यूं भी उन्हें राजन का मुद्रास्फीति का योद्धा माना जाता रहा है.

उन्हें आरबीअाइ में राजन के नहीं होने के बाद उनके व्यापक आभामंडल की कमी को भी भरना होगा या स्वयं के लिएआभामंडल सृजित करना होगा, जिससे उन्हें विभिन्न बिंदुओं पर उनकी तरह की अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न वर्गों का व्यापक समर्थन मिले.

28 अक्तूबर 1963 को जन्मे पटेल येल व आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं, जहां से उन्होंने क्रमश: पीएचडी व एम फिल किया है और आइएमएफ, भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग व रिलायंस में काम किया है. वे आइएमएफ के प्रतिनिधि के रूप में पहले भी आरबीअाइ में डेपुटेशन पर रहे हैं और आइएमएफ में भारतीय डेस्क को देखते रहे हैं. उन्होंने सरकार की कई अहम कमेटियों की अगुवाई की है.

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