सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की समस्या का समाधान विलय नहीं : एसोचैम

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) की गंभीर होती समस्या के बीच देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि इस समस्या का निदान उनके विलय में नहीं बल्कि बैंक प्रबंधन को कामकाज और निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता देने से हो सकेगा. एसोचैम के अध्यक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2016 5:05 PM

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) की गंभीर होती समस्या के बीच देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि इस समस्या का निदान उनके विलय में नहीं बल्कि बैंक प्रबंधन को कामकाज और निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता देने से हो सकेगा. एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने आज यहां उद्योग मंडल की इस संबंध में तैयार रिपोर्ट का अनावरण करते हुये कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय ही समस्या का एकमात्र समाधान है यह जरुरी नहीं है बल्कि इन बैंकों के प्रबंधन को सक्षम और पेशेवर बनाये जाने की जरुरत है.

कनोरिया ने कहा, ‘वह विलय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस समय बैंकों की जो स्थिति है उसमें प्राथमिकता बैंकों को मजबूत और खुद बढने देने को मिलनी चाहिये. बैंकों के प्रबंधन को फैसले लेने में अधिक स्वायत्तता मिलनी चाहिये.’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का करीब 5 लाख करोड़ रुपये की राशि गैर-निष्पादित परिसंपतित (एनपीए) बन चुकी है. इन बैंकों के समक्ष आज यह समस्या काफी विकराल रूप ले चुकी है. हालांकि, सरकार ने बैंकों की स्थिति में सुधार के लिये अनेक उपाय किये हैं.

कनोरिया ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमें देश में सभी तरह के बैंकों की जरुरत है. छोटे, बड़े और मध्यम आकार के बैंक होने चाहिये. केवल बड़े बैंक की समस्या का समाधान नहीं हो सकते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रबंधन में आज काफी डर है, वह फैसले लेने में उत्साहित नहीं हैं, इस डर को दूर किया जाना चाहिये. तभी बैंक आगे बढकर काम कर सकेंगे.’

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