नयी दिल्ली : सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अगले साल एक अप्रैल से लागू करने के लिए कमर कस ली है. जीएसटी परिषद ने इस दिशा में एक अहम फैसला करते हुए 20 लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है. इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि सभी उपकर जीएसटी में समाहित हो जायेंगे. परिषद की 30 सितंबर को होने वाली अगली बैठक में छूट देने को लेकर नियमों के मसौदा को अंतिम रूप दिया जायेगा. वहीं जीएसटी कर स्लैब के बारे में निर्णय 17 अक्तूबर से शुरू होने वाली तीन दिन की बैठक में किया जायेगा.
1.5 करोड़ से कम के सालाना कारोबार वाले करदाता राज्य के दायरे में
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में परिषद की बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि 1.5 करोड़ से कम के सालाना कारोबार वाले करदाता राज्य के दायरे में आयेंगे.जेटली ने कहा कि जिनका कारोबार 1.5 करोड रुपये से अधिक है, दोहरे नियंत्रण से बचने के लिए उनसे केंद्र या राज्य के अधिकारी में से कोई एक पूछताछ करेगा.हालांकि, 11 लाख सेवा करदाता जिनका आकलन फिलहाल केंद्र करता है, वे उनके साथ बने रहेंगे. इस श्रेणी में जो नये करदाता सूची में आयेंगे, उसे केंद्र एवं राज्यों के बीच विभिाजित किया जायेगा.
मुआवजे के आकलन के लिए आधार वर्ष 2015-16 होगा
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि जीएसटी के लिए सालाना कारोबार छूट सीमा 20 लाख रुपये होगी जबकि पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में यह 10 लाख रुपये होगी.उन्होंने कहा, ‘‘उपकर समेत सभी चीजें जीएसटी में शामिल होंगी.’ उन्होंने यह भी कहा कि परिषद मुआवजा कानून तथा मुआवजा फार्मूले के मसौदे पर काम कर रही है.मुआवजे के आकलन के लिए आधार वर्ष 2015-16 होगा और मुआवजे के भुगतान के लिए फार्मूले पर राज्य एवं केंद्र के बीच विचार होगा.अधिकारी मुआवजा फार्मूले के संदर्भ में प्रस्तुती देंगे जिसे परिषद की अगली बैठक 30 सितंबर को स्वीकार किया जा सकता है.जेटली ने कहा, ‘‘जीएसटी परिषद में आज सभी निर्णय आम सहमति से किये गये.’’
राज्यों को होने वाले नुकसान का मुआवजा नियमित अंतराल पर मिलेगा
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि नई व्यवस्था के क्रियान्वयन के कारण राज्यों के राजस्व में किसी प्रकार के नुकसान को लेकर मुआवजे का भुगतान नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा, ‘‘यह तिमाही और हर दो महीने पर होना चाहिए.” मुआवजे के आकलन के लिए आधार वर्ष 2015-16 होगा.जेटली ने कहा कि अगले पांच साल के दौरान राजस्व वृद्धि के अनुमान के तौर-तरीकों पर भी कुछ सुझाव दिये गये.
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