मुंबई : आर्थिक गतिविधियों तथा निवेश के प्रवाह को प्रोत्साहन के लिए नीतिगत पहल का वादा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि घरेलू मोर्चे पर सुधारों से वैश्विक सुस्ती के प्रतिकूल प्रभाव ‘खत्म’ होंगे. गोवा में पांच देशों के शिखर सम्मेलन से पहले यहां ब्रिक्स निवेश संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के खोले गये लगभग 90 प्रतिशत में एफडीआई को स्वत: मंजूर मार्ग में रख गया है जिसमें निवेश के लिए सरकार से पूर्व स्वीकृति लेने की जरुरत नहीं रहती. उन्होंने कहा, ‘पिछले ढाई बरस में ज्यादातर क्षेत्रों की समीक्षा की गई है और अब संभवत: हमारी नीति दुनिया में सबसे मुक्त एफडीआई नीति है.
90 प्रतिशत एफडीआई स्वत: मंजूर मार्ग से आ रहा है.’ जेटली ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कारोबार करने की स्थिति काफी सुगम हुई है. कई क्षेत्रों को स्वत: मंजूर मार्ग में लाया गया है. हमारे पास अब ऐसे मामले नहीं हैं जो विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास लंबे समय से अटके हों. वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमने यह जाना है कि वैश्विक वृद्धि में गिरावट के बावजूद कम से कम हम घरेलू स्तर पर सुधारों से उसके प्रभाव को ‘तटस्थ’ कर सकते हैं.’
वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा रैंकिंग पर वित्त मंत्री ने कहा कि हाल में कई नीतिगत बदलावों से कारोबार करने की स्थिति सुगम हुई है. भारत इस साल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में 39वें स्थान पर आ गया है.वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि विभिन्न नीतिगत उपाय और सरकार का प्रत्येक उल्लेखनीय फैसला एक ही दिशा में था. आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन तथा भारत को अधिक निवेशक अनुकूल बनाना.
उन्होंने कहा, ‘कारोबार सुगमता के अलावा वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक दोनों में हमारी रैंकिंग में पिछले कुछ साल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. इसको सरकार द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत पहलों से मदद मिली है. वित्त मंत्री ने राज्यों की खुद को व्यापार के अनुकूल बनाने के लिए सराहना की. उन्होंने कहा कि एक और अच्छी बात यह हुई है कि राज्य काफी प्रतिस्पर्धी और अधिक निवेशक अनुकूल हो गए हैं. ब्रिक्स (ब्राजील, रुस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के बीच अधिक सहयोग पर जोर देते हुए जेटली ने कहा कि पिछले कुछ साल में इसमें सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी समय-समय पर बैठकों की गुंजाइश है, जिससे पांच राष्ट्रों के इस समूह के बीच सहयोग के क्षेत्रों को विस्तार दिया जा सके.
उन्होंने कहा कि हमारे पास नव विकास बैंक के रूप में ब्रिक्स संस्थान है. छोटी सी अवधि में यह शानदार तरीके से परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रहा है. एक आपदा कोष व्यवस्था भी बन चुकी है. सीमा शुल्क और कराधान जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढेगा. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के एजेंडा में रेटिंग एजेंसी और शोध संस्थान जैसे प्रस्ताव भी हैं. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश कई तरह की चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं. दुनिया की आबादी का 40 प्रतिशत ब्रिक्स देशों में रहता है. वैश्विक जीडीपी में ब्रिक्स देशों का बड़ा हिस्सा है.
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