नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने वस्तुओं और सेवाओं की संभावित दरों पर आज विचार विमर्श किया जिसमें जीएसटी के लिए चार स्तर की दरें रखने की संभावना भी शामिल है जो 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत रखी जा सकती हैं. इसमें सबसे निचली दरें आवश्यक वस्तुओं के लिए तथा सबसे ऊंची दर विलासिता के सामानों के लिए होगी. आज की चर्चाओं में जीएसटी लागू होने पर राजस्व के संभावित नुकसान पर राज्यों को मुआवजा भुगतान की व्यवस्था पर सहमति बनी. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस महत्वपूर्ण समिति में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं.
बैठक में 1 अप्रैल, 2017 से नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लागू होने की स्थिति में राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के तरीके पर सहमति बनी. जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि मुआवजे के लिए राज्यों को राजस्व की तुलना का आधार वर्ष 2015-16 होगा। पहले पांच साल में राज्यों में राजस्व में 14 प्रतिशत वार्षिक की दीर्घावधिक वृद्धि दर को सामान्य माना जाएगा और उसकी तुलना में यदि राजस्व कम रहा तो केंद्र द्वारा संबंधित राज्य को उसकी भरपाई की जाएगी. जीएसटी परिषद की तीन दिन की बैठक के पहले दिन जीएसटी दर ढांचे के पांच विकल्पों पर विचार किया गया.
जेटली ने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है और विचार विमर्श कल भी जारी रहेगा. बैठक में चार स्लैब के कर ढांचे 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत पर विचार किया गया. सबसे ऊंची दर विलासिता की वस्तुओं और सिगरेट-तंबाकू जैसे उत्पादों के लिए होगी. खाद्य वस्तुओं को कर की छूट का प्रस्ताव है, जबकि सामान्य इस्तेमाल के 50 प्रतिशत उत्पादों पर भी कर नहीं लगाने का प्रस्ताव है जिससे महंगाई को काबू में रखा जा सके.
बैठक में आवश्यक वस्तुओं पर निचली कर दर लगाने तथा लक्जरी उत्पादों व अहितकर वस्तुओं पर ऊंची दर का प्रस्ताव किया गया. लक्जरी और अहितकर वस्तुओं पर उच्चतम दर के उपर उपकर लगाने की भी बात है. इससे उन राज्यों के लिए मुआवजा कोष बनाने में मदद मिलेगी, जिन्हें नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लागू होने पर राजस्व का नुकसान होगा. जीएसटी के लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के कर मसलन उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट उसमें समाहित हो जाएंगे.
केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि ऊंची दरों वाले उत्पादों के लिए कर की दर 30 प्रतिशत तय की जाए जिससे आम आदमी के काम में आने वाले उत्पादों को कर से छूट दी जा सके या उन पर निचली कर दर लगे. उन्होंने कहा कि राज्यों को मुआवजा ‘जीएसटी में समाहित हुए करों’ तक सीमित रहेगा. माना जा रहा है कि जीएसटी परिषद तीन दिन की बैठक के दूसरे दिन कल अंतिम रूप से कर ढांचे पर पहुंचेगी और अगले दिन इस बात पर विचार विमर्श करेगी कि कौन 11 लाख सेवाकर दाताओं पर कर लगाएगा.
जेटली ने कहा कि दरें तय करने का सिद्धान्त यह है कि यह मुद्रास्फीति की दृष्टि से तटस्थ हो, राज्य और केंद्र अपने खर्चों को जारी रख सकें और करदाताओं पर बोझ न पड़े. एक बार कर का ढांचा को अंतिम रूप दिए जाने के बाद राज्य और केंद्र के कर अधिकारियों का तकनीकी समूह यह तय करेगा कि कौन सी वस्तु किस कर स्लैब में आती है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘अभी तक पिछली दो बैठकों तथा आज की बैठक के बाद हम एक के बाद एक सभी मुद्दों पर सहमति पर पहुंच रहे हैं. अभी तक जो भी फैसले हुए हैं, आमसहमति से हुए हैं. हमारा उद्देश्य पहली बार में सहमति न बनने पर विचार विमर्श करना आगे और विचार विमर्श करना है और ज्यादा से ज्यादा फैसले आमसहमति से लेना है और ऐसी स्थिति से बचना है जिसमें मतदान कराना पड़े अभी तक हम यह उद्देश्य हासिल करने में सफल रहे हैं.’
केंद्र द्वारा प्रस्तावित दर ढांचे को स्पष्ट करते हुए राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि निचली दर 6 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव है. मानक दर 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत तथा ऊंची दर 26 प्रतिशत होगी. विलासिता की वस्तुओं मसलन तंबाकू, सिगरेट, एरेटेड ड्रिंक्स, लक्जरी कार और प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर 26 प्रतिशत के कर के उपर उपकर लगेगा. अधिया ने कहा कि सेवाओं पर कर की दरें 6 प्रतिशत, 12 प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत होगी. इसमें ऊंची दर 18 प्रतिशत की होगी.
उन्होंने कहा कि विभिन्न उत्पादों के लिए उपकर की दर भिन्न होगी. अधिया ने कहा कि उपकर से जुटाई गई राशि अलग 50,000 करोड़ रुपये के पूल में जाएगी. इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को राजस्व घाटे की भरपाई के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत से भी कम वस्तुएं 6 प्रतिशत के कर दायरे में आएंगी. 70 प्रतिशत कर योग्य वस्तुएं 6, 12 और 18 प्रतिशत के स्लैब में आएंगी. 25 प्रतिशत वस्तुएं 26 प्रतिशत के कर दायरे में आएंगी. एफएमसीजी तथा टिकाउ उपभोक्ता सामान पर कर की दर 26 प्रतिशत होगी, जबकि यह अभी 31 प्रतिशत बैठती है.
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