नयी दिल्ली : अवैध निवेश योजनाओं से धन जुटाने के चर्चित पीएसीएल मामले में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बाजार नियामक सेबी के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें कंपनी और उसके चार निदेशकों पर 7000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. सैट ने सेबी को मामले पर नये सिरे से विचार करने को कहा है. सैट ने 22 सितंबर 2015 के सेबी के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपने आदेश में कहा है, ‘विवादास्पद आदेश को निरस्त किया जाता है और सेबी को निर्देश दिया जाता है कि वह मामले पर गुण-दोष और कानून के आधार पर नया आदेश पारित करे.’
सेबी के आदेश को पीएसीएल लिमिटेड और चार अन्य ने सैट में चुनौती दी थी. सेबी के वकील ने सैट में बयान दिया कि, ‘नियामक इस मामले को फिर से सुनने को राजी है.’ इसके बाद न्यायाधिकरण ने कहा कि दोनों पक्षों के तर्कों को खुला रखा जाता है. सेबी ने पिछले साल सितंबर समूह और उसने निदेशकों पर 7269.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और कहा था कि कंपनी ने आम लोगों को धोखा दिया है और ऐसे में उस पर अधिकतम जुर्माना-ब्याज बनता है.
सेबी ने इससे पहले 2014 में पीएसीएल समूह को निवेशकों का 49100 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया था जो उसने करीब 15 सालों में गैर-कानूनी योजनाओं के जरिए जुटाया था. पीएसीएल और उसके निदेशकों की ओर से पेश वकील ने सैट में तर्क दिया कि मान लिया जाए कि अपीलकर्ताओं ने धोखाधड़ी और व्यापार में अनुचित व्यवहार किया भी है तो भी सेबी अधिनियम की धारा 15 एचए के तहत अधिकतम 25 करोड़ रुपये या ऐसे काम से हुए लाभ के तीन गुना के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है.
सैट ने अपने आदेश में कहा कि यह कहा गया है कि इस मामले में निर्णयकर्ता अधिकारी ने किसी लाभ की गणना किये बगैर याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया गया है जो कानून की दृष्टि से बुरा है. न्यायाधिकरण ने कंपनी के इस तर्क को मजबूत माना और कहा कि निर्णायक अधिकारी यदि याचिकाकर्त्ताओं को अत्याधिक बेईमान मानता भी हो और याचिकाकर्ता धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार में लगे रहे हों तो भी निर्णायक अधिकारी को इस तरह की गतिविधियों से हुए लाभ की गणना करके तब जुर्माना लगाना चाहिए था.
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