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तेज हुई कॉरपोरेट जंग, टाटा संस ने साइरस मिस्त्री की बर्खास्तगी को चिट्ठी लिखकर सही ठहराया

मुंबई : टाटा संस ने आज एक नया पत्र लिखकर साइरस मिस्‍त्री पर काफी गंभीर आरोप लगाये हैं. टाटासंसकी इस चिट्ठी सेसमूहऔर साइरस मिस्‍त्री के बीच छिड़ीकॉरपोरेटजंग बढ़ती ही जा रही है. टाटा संस ने गुरुवार को नौ पेज की चिट्ठी लिखकर सायरस मिस्त्री को हटाने के कदम को सहीबतायाहै. टाटा संस ने चिट्ठी में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2016 3:27 PM

मुंबई : टाटा संस ने आज एक नया पत्र लिखकर साइरस मिस्‍त्री पर काफी गंभीर आरोप लगाये हैं. टाटासंसकी इस चिट्ठी सेसमूहऔर साइरस मिस्‍त्री के बीच छिड़ीकॉरपोरेटजंग बढ़ती ही जा रही है. टाटा संस ने गुरुवार को नौ पेज की चिट्ठी लिखकर सायरस मिस्त्री को हटाने के कदम को सहीबतायाहै. टाटा संस ने चिट्ठी में कहा कि मिस्त्री ने विश्वासतोड़ा, टाटा समूह की मुख्य संचालन कंपनियों पर नियंत्रण की मंशा थी.उन्होंनेदूसरे प्रतिनिधियों को अलग किया.

टाटा संस ने अपने आठ पन्ने के नये विस्तृत पत्र में कहा है कि साइरस मिस्त्री ने विश्वास तोड़ा.उनकी टाटा समूह की मुख्य संचालन कंपनियों पर नियंत्रण की मंशा थी.उन्होंने दूसरे प्रतिनिधियों को अलग किया. टाटा समूह की कंपनियों में टाटा संस का एकमात्र प्रतिनिधि होने की मिस्त्री की रणनीति पूरी योजनाबद्ध तरीके से बनायीगयी और पिछले चार साल में इस पर अमल किया गया. मिस्त्री के टाटा संस का चेयरमैन रहते समूह के 100 साल पुराना ढांचे को जानते बूझते समाप्त होने दिया गया और कंपनियां उनके प्रवर्तकों, शेयरधारकों से दूर होने लगीं.

चिट्ठी में कहा गया कि मिस्त्री ने हमारा भरोसा तोड़ा. वे टाटा ग्रुप की मेन ऑपरेटिंग कंपनियों से दूसरे रिप्रेजेंटेटिव्स को बाहर कर खुद का कंट्रोल चाहते थे.पत्र टाटा संस के प्रवक्ता देवाशीष राय के नाम से जारी किया गया है.

मिस्त्री की स्ट्रैट्जी ये थी कि वे टाटा बोर्ड में अकेले ही टाटा के रिप्रेजेंटेटिव रहें. उनका यह प्लान सोचा-समझा था और इस पर वे चार साल से काम कर रहे थे. चिट्ठी लिखने से पूर्व सुबह ही टाटा समूह ने अपनी कंपनियों से साइरस मिस्त्री को हटाने की कवायद शुरू कर दी. टीसीएस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाकर इशात हुसैन को इसका चेयरमैन बनाया गया.

यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी चिट्ठी

टाटा संस से संबंधित मसलों पर पत्र में कहा गया है कि सायरस को परफॉर्म करने के लिए 4 साल का समय मिला. उनके कार्यकाल में टाटा ग्रुप की 40 कंपनियों का डिविडेंड एक हजार करोड़ रुपए से घटकर 780 करोड़ रुपये हो गया. डिविडेंट घटने के साथ-साथ खर्चों में बढ़ोतरी हुई है. चिट्ठी में कहा गया है कि सायरस मिस्त्री की हिस्सा बेचने की रणनीति विफल रही और विनिवेश से कोई मुनाफा नहीं हुआ है. बीते तीन साल से टाटा संस को घाटा ही हो रहा था, जो चिंता का प्रमुख कारण था.

आगे लिखा गया है कि सबसे अच्छे परिणाम दिखाने वाली कंपनी टीसीएस में सायरस का कोई योगदान नहीं था. मीडिया में जब भी टाटा समूह के परिणामों के आधार पर मिस्त्री को जब भी तारीफ मिली, उसमें मुख्य योगदान टीसीएस का ही था. पत्र में कहा गया है कि कोई विकल्प नहीं होने की वजह से टाटा समूह ने मिस्त्री को चेयरमैन पद पर नियुक्त किया. चयन प्रक्रिया के दौरान इतने बड़े ग्रुप के मैनेजमेंट के लिए बड़े बिजनेस हाउस के प्रबंधन के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार के अनुभव की आवश्‍यकता थी.

मैनेजमेंट के सामने मिस्त्री ने चयन के समय जो प्लान पेश किया था, उसका क्रियान्वयन मिस्त्री के कामकाज में नहीं दिखा. यानी पद पाने के लिए उन्होंने जो वादे किए, वैसा काम नहीं दिखाया.

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