नोटबंदी के मामले पर विदेशी मीडिया की क्या है प्रतिक्रिया?

भारत में नोटबंदी के फैसले से पैदा संकट को ग्लोबल मीडिया ने भी कवर किया है. वैश्विक मीडिया ने जहां एक ओर नोटबंदी के बाद पैदा असुविधा का जिक्र किया है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था परपड़नेवाले प्रभावों का भी विश्लेषण किया गया है. बीबीसी वर्ल्ड ने लिखा है कि सरकार के इस फैसले से इनकम टैक्स […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2016 5:42 PM

भारत में नोटबंदी के फैसले से पैदा संकट को ग्लोबल मीडिया ने भी कवर किया है. वैश्विक मीडिया ने जहां एक ओर नोटबंदी के बाद पैदा असुविधा का जिक्र किया है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था परपड़नेवाले प्रभावों का भी विश्लेषण किया गया है. बीबीसी वर्ल्ड ने लिखा है कि सरकार के इस फैसले से इनकम टैक्स में वृद्धि हो सकती है. कुछ समय के लिए महंगाई घट सकती है.

बीबीसी ने रिजर्व बैंक के पूर्वगवर्नररघुराम राजन का प्रतिक्रिया को भी जगह दी है. रघुराम राजन ने कहा कि कालेधन को खत्म करने के लिए नोटबंदी एक रास्ता है लेकिन ब्लैक मनी को हटाना आसान नहीं है. ज्यादातर कालाधन सोने में तब्दील होने की संभावना है, जिसे पकड़ पाना और भी मुश्किल है. उन्होंने कहा कि कालेधन का पता लगाने केलिए सूचना तकनीक का मदद लेना चाहिए. मैं बेहतर टैक्स एडमिस्ट्रेशन व ट्रैकिंग डाटा के पक्ष में हूं.

कई लोगों का मानना है कि कालेधन का सबसे बड़ा जनक भारत में चुनावों के दौरान पैदा होने वालीब्लैकमनी है, अगर ब्लैकमनी में सचमुच काबू पाना है तो चुनाव सुधार होना चाहिए. एशियाई देशों के अर्थव्यवस्था पर कड़ी नजर रखने वाले टिमोथी मो ने लिखा कि सरकार का यह फैसला सही है. करेंसी में सुधार से बैंक में लिक्विडीटी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि बांड मार्केट में भी मजबूती दिखेगी. सरकार के राजस्व में सुधार होगा. टैक्स कलेक्शन में भी वृद्धि दिखेगी. हालांकि उन्होंने इस बात की चेतावनी दी कि इससेमुद्रास्फीतिमें कमी हो सकती है. मांग कम होने से थोड़े दिनों के अर्थव्यवस्था में सुस्ती दिखेगी.

बड़े नोटों पर पाबंदी ‘साहसिक कदम’ पर यही काफी नहीं: चीनी

भारत में 1000 और 500 रुपये के नाटों पर पाबंदी के मोदी सरकार के निर्णय को ‘आश्चर्यजनक और साहसिक’ बताते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि इससे कालेधन और भ्रष्टाचार से लडने की प्रतिबद्धता प्रकट होती है पर यह कदम ‘ जरुरत से बहुत कम है.’ चीनी मीडिया ने साथ ही यह भी कहा कि भारत सरकार को कुछ और ‘तरीकों’ की जरुरत महसूस हो सकती है और इसके लिए वह भष्ट्राचार के खिलाफ चीन की कार्रवाई से कुछ विचार ले सकती है.

चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक लेख में कहा गया है कि ‘‘ मोदी की सोच ठीक है और उनका निर्णय भारत की वास्तविकताओं पर आधारित है’ क्योंकि देश में ज्यादातर अवैध धंधे 500 और 1000 के नोटों से किए जाते हैं और इन नोटों का हिस्सा कुल प्रवाहमान नकदी में 80 प्रतिशत से ज्यादा है.बावजूद इसके ये नए नियम भ्रष्टाचार को शायद ही निर्मूल कर सकेंगे.लेख के अनुसार नोटों पर पाबंदी की भारत की नई नीति ‘जोखिम भरी पर एक साहसिक और निर्णयक कार्रवाई है’ बावजूद इसके एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिए इसके अलावा भी उपाय करने होंगे. उन्हें प्रणालियों को सुधारना होगा। इसके लिए भारत सरकार को चीन से कुछ सीखने को मिल सकता है.

चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग ने 2012 में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव का पद ग्रहण करने और राष्ट्रपति तथा सेना प्रमुख का पद संभालने के बाद से रिश्वत खोरी बंद करने के कई कदम उठाए और उन्हें आलोचनाएं झेलनी पडी कि वह माओ के बाद सबसे ताकतवर नेता बनने के लिए इन उपयों का इस्तेमाल कर रहे हैं. पर इन वर्षों में चीन ने भ्रष्टाचार के लिखाफ कार्रवाई के नए कानून बना कर, प्रणाली में सुधार करके के लगातार कदम उठाए हैं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके. उदाहरण के लिए चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने 12 शीर्ष अधिकारियों के परिवारों के बारे में सूचनाएं प्रकाशित की हैं. यह भ्रष्टाचार से लडाई के हिस्से के तहत किया गया है

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