SBI ने माल्या समेत 63 विलफुल डिफाल्टर्स का लोन राइट ऑफ किया
नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआइ ने अपने 7,016 करोड़ रुपये के एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है. इसमें भगोड़ा घोषित हो चुके शराब करोबारी विजय माल्या का 1,201 रुपये का लोन भी शामिल है.बतादें कि विजय माल्या एसबीआइ के नेतृत्व वालेसत्रह बैंकों के कंसोर्टियम केनौ हजार करोड़ रुपये से […]
नयी दिल्ली : देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआइ ने अपने 7,016 करोड़ रुपये के एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है. इसमें भगोड़ा घोषित हो चुके शराब करोबारी विजय माल्या का 1,201 रुपये का लोन भी शामिल है.बतादें कि विजय माल्या एसबीआइ के नेतृत्व वालेसत्रह बैंकों के कंसोर्टियम केनौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के डिफॉल्टर हैंऔर इसी साल मार्चमहीनेसे देश छोड़कर लंदन में हैं.
Loan to Vijay Mallya's Kingfisher a write-off 'only in books,' but the Govt still pursuing his case: Arun Jaitley in RS pic.twitter.com/1sh3QTJ2Z5
— ANI (@ANI) November 16, 2016
राइट ऑफ से मतलब है कि एसबीआइ ने यह मान लिया है कि अब वह इस लोन की रिकवरी नहीं कर पाएगाऔर इसे लोन को बैंकों की ओर से बट्टे खाते में डालना भी कहते हैं. डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआइ की ओर से बट्टे खाते में डाले गये 7,016 करोड़ रुपये टॉप 100 लोन विलफुल डिफाल्टरों पर बाकी कुल राशि का करीब 80 फीसदी है. इस फैसले के बाद माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस समेत 63 कर्जदारों का कर्ज बैंक की बैलेंसशीट से हटा दिया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि बैंक अब इन डिफॉल्टरों से कर्ज वसूलने की कोशिश बंद कर देगा.
रिपोर्ट केमुताबिक जब बैंक बकाया लोन वसूल करने में विफल रहा, तो उसने टॉप 100 विलफुट डिफाल्टरों में से 63 पर बकाया 7,016 करोड़ रुपये का लोन माफ करने का फैसला कर लिया है. एसबीआइ के 63 डिफाल्टरों का पूरा कर्ज डूबा हुआ मान लिया है.यानि राइट ऑफ कर दिया है. जबकि शेष 31 कर्जदारों का लोन आंशिक तौर पर छोड़ा गया है.वहीं छह अन्य कर्जदारों पर बकाया लोन को एनपीए घोषित कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि 30 जून 2016 तक एसबीआइ 48 हजार करोड़ रुपये का बैड लोन राइट ऑफ कर चुका है. हालांकि इसकी तारीख नहीं बताईगयी है.
एसबीआइ ने किंगफिशर एयरलाइंस के करीब 1201 करोड़, केएस ऑयल के 596 करोड़, सूर्या फार्मास्युटिकल के 526
करोड़, जीईटी पावर के 400 करोड़ और साई इंफो सिस्टम के 376 करोड़ रुपये हैं. इन सभी कंपनियों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका है.
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