नोटबंदी का बैंकों पर क्या होगा असर?
नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद देश की आर्थिक गतिविधि का पहिया भले ही कुछ देर के लिए थमता नजर आ रहा है लेकिन भविष्य में इसके कई फायदे भी हो सकते हैं. कालाधन को लेकर सरकार के इस बेहद अहम फैसले से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. अब भी स्थिति सामान्य होने में वक्त […]
नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद देश की आर्थिक गतिविधि का पहिया भले ही कुछ देर के लिए थमता नजर आ रहा है लेकिन भविष्य में इसके कई फायदे भी हो सकते हैं. कालाधन को लेकर सरकार के इस बेहद अहम फैसले से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. अब भी स्थिति सामान्य होने में वक्त लग रहा है, लेकिन नोटबंदी के फैसले से घाटे से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर सकरात्मक असर पड़ने की संभावना बढ़ गयी है. सरकार के इस फैसले से बैंकों के पास लिक्विडीटी की कमी कोनिबटने में आसानी होगी.
निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और केनरा बैंक समेत कई बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (एफ.डी.) के मियादी जमाओं पर ब्याज दरें एक प्रतिशत तक घटा दी हैं. बैंकों के इस फैसले से स्पष्ट लग रहा है कि नोटबंदी से पैदा हुए मौके को वो चूकना नहीं चाहते हैं. आने वाले दिनों में बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं. बैंकों के पास नोटबंदी के बाद लिक्विडीटी की कोई दिक्कत नहीं रह जायेगी.उपलब्ध आंकड़ेके अनुसार,नोटबंदी के घोषणा के दूसरे दिन तक एसबीआई में 83,702 करोड़ जमा हुए थे, यह संकेत हैकि बैंकों की डिपॉजिट बढ़ेगी.बैंक अब ब्याज दर में भी कटौती कर सकते हैं. सस्ते कर्ज का फायदा देश के कारोबार जगत कोहोगा.
गौरतलब है कि लंबे समय से भारतीय उद्योग जगत महंगे कर्ज की वजह से निवेश नहीं कर पा रहे थे. निजी कंपनियों के कम निवेश की वजह से निवेश चक्र प्रभावित हो रहा था. नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से ज्यादातर निवेश सार्वजनिक क्षेत्र से हुई है. रेलवे व इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पर्याप्त निवेश हुए है लेकिन निजी कंपनियां अब भी सतर्कता बरत रही थीं. रिजर्व बैंक ने कई बार ब्याज दरों में कटौती की लेकिन इसका भी कुछ विशेष फायदा बाजार को नहीं मिला.
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