देशभर में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हैं और लोग इसके अनुसार फायदे मिल भी रहे हैं. वहीं, कई कर्मचारियों को इस बात की शिकायत है कि उन्हें तय सिफारिशों से कम सैलरी मिल रही है. इसे लेकर कुछ कर्मचारी यूनियन ज्ञापन तैयार कर सरकार को सौंपने के मूड में हैं. इस ज्ञापन के जरिये सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सैलरी बढ़ाने या 8वां वेतन आयोग जल्द लाने की मांग की जाएगी. यहां जानना जरूरी है कि सरकार ने सदन में 8वें वेतन आयोग को लागू करने की योजना से साफ इनकार किया है.
आर्थिक मामलों से जुड़ी वेबसाइट ‘जी बिजनेस’ की मानें, ताे केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का कहना है कि फिलहाल न्यूनतम वेतन की सीमा 18 हजार रुपये रखी गई है. इसमें वेतन वृद्धि को लेकर फिटमेंट फैक्टर का अहम रोल है. फिलहाल यह फैक्टर 2.57 गुना है, हालांकि 7वें वेतन आयोग में इसे 3.68 गुना तक रखने की सिफारिश की गई है. अगर ऐसा होता है, तो कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये से बढ़कर 26 हजार रुपये तक हो सकता है.
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मोदी सरकार ने पिछले दिनों संसद में बताया कि 7वें वेतन आयोग के बाद अब कोई नया वेतन आयोग नहीं आयेगा. इसकी जगह सरकार ऐसी प्रणाली लाने की तैयारी कर रही है, जिससे सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि स्वत: हो जाएगी. यह ऑटोमैटिक पे रिविजन सिस्टम हो सकता है, जिसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा डीए होने पर सैलरी में ऑटोमैटिक रिविजन हो जाएगा. सरकार ने हालांकि अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया है. इस पर फैसला ले लेने के बाद ही सरकार इसे अमलीजामा पहनाएगी.
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