UPS: सरकारी कर्मचारियों किस्मत चमकाने के लिए केंद्र सरकार ने छींका तोड़ दिया है. उसने एक ऐसी पेंशन योजना पेश की है, जिससे सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट लाइफ सेटल हो जाएगा. इसे लागू हो जाने के बाद पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) और नई पेंशन योजना (एनपीएस) की रट लगाने वाले सरकारी कर्मचारी इन दोनों योजनाओं को भूल जाएंगे. इस नई पेंशन योजना का फायदा यह है कि जिस किसी ने 10 साल की सेवा देने के बाद रिटायरमेंट ले लिया है, उसे भी हर महीने कम से कम 10,000 रुपये की पेंशन मिलेगी. वहीं, जो सरकारी कर्मचारी रिटायर हो गए हैं, उन्हें भी इस नई पेंशन योजना के तहत पेंशन की राशि बढ़कर मिलेगी. सरकार की इस नई योजना का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम या एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) है. इस नई पेंशन योजना से सीधे-सीधे कम से कम 90 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा. आइए, इस नई पेंशन योजना के बारे में जानते हैं.
UPS-NPS के मुकाबले यूपीएस अधिक फायदेमंद क्यों है?
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने हाल ही में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान किया है. यह योजना केवल उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी, जो नई पेंशन योजना (NPS) को ऑप्ट कर चुके हैं. इनमें चाहे रिटायर्ड पर्सन ही शामिल क्यों न हों. यूपीएस योजना की खासियत यह है कि जिस कर्मचारी ने कम से कम 25 साल तक सेवा दे दी है, उन्हें भी रिटायरमेंट से पहले के आखिरी 12 महीनों में उनके एवरेज बेसिक सैलरी का 50% गारंटीड पेंशन मिलेगी. वहीं, जिन लोगों ने एनपीएस को ऑप्ट किया है, उन्हें बाजार में लगाई रकम से मिलने वाले रिटर्न के आधार पर पेंशन दी जाती है. यानी एनपीएस के तहत निर्धारित होने वाली पेंशन पूरी तरह शेयर बाजार पर डिपेंड है.
10 साल की सर्विस पर हर महीने 10,000 की पेंशन कैसे मिलेगी?
इसके अलावा, यूनिफाइड पेंशन स्कीम की दूसरी खासियत यह है कि इस योजना के तहत कम-से-कम 10 साल की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक आधार पर पेंशन निर्धारित की जाएगी. इसके साथ ही, कम से कम 10 साल की सर्विस के बाद रिटायरमेंट के समय 10,000 रुपये हर महीने पेंशन मिलना तय है. इस नई पेंशन योजना को लाने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की एनपीएस से जुड़ी चिंताओं को दूर करना और पेंशन स्कीम से बाजार जोखिमों को समाप्त करना है.
NPS और OPS में कमियां क्या हैं?
सरकार ने नई पेंशन स्कीम को 1 जनवरी, 2004 से लागू किया था. इससे पहले पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था. वहीं, पुरानी पेंशन योजना के उलट यूपीएस अंशदायी प्रकृति की योजना है, जिसमें कर्मचारियों को अपने बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते यानी डीए का 10% योगदान करना होगा. वहीं, नियोक्ता यानी केंद्र सरकार का योगदान 18.5% होगा. इसके विपरीत, सरकार ने एनपीएस के तहत नियोक्ता यानी का योगदान 14% रखा गया है, जबकि कर्मचारी का योगदान 10% तय किया है. इसके बावजूद एनपीएस के तहत कर्मचारी को अंतिम भुगतान उस फंड को मिलने वाले बाजार रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी लोन में निवेश किया जाता है.
OPS के तहत सरकारी कर्मचारियों को कितना फायदा मिलता था?
देश में पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस दिसंबर, 2003 तक लागू रही. ओपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन पाने के लिए किसी प्रकार का कोई योगदान करना पड़ता था. हालांकि, वे सामान्य भविष्य निधि (GPF) में योगदान करते थे. जीपीएफ में जमा राशि को ब्याज के साथ कर्मचारी की रिटायरमेंट के समय दिया जाता था. ओपीएस के मुकाबले एनपीएस कर्मचारियों के बीच अधिक आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाई. ऐसी स्थिति में कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना पर वापस जाने का फैसला किया, जिसमें महंगाई भत्ते (डीए) से जुड़ा लाभ दिया जाता था.
सरकार को UPS लाने की क्यों जरूरत पड़ी?
नई पेंशन स्कीम के तहत बढ़ते बाजार जोखिमों के बीच सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना को देश में दोबारा लागू करने की मांग करनी शुरू कर दी. सरकारी कर्मचारियों के कई संगठनों ने आंदोलन करने के साथ-साथ सरकार को चिट्ठियां भी लिखीं. कई राज्य सरकारों ने अपने यहां नई पेंशन स्कीम (NPS) को हतोत्साहित कर पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया. ओपीएस लागू करने की मांग बढ़ने से पैदा हो रहे दबाव के बीच केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2023 में पूर्व वित्त सचिव और मौजूदा मनोनीत कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन के नेतृत्व में एनपीएस स्ट्रक्चर में सुधार के लिए एक समिति गठित की थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए 24 अगस्त 2024 को यूपीएस को मंजूरी दे दी.
UPS अपनाने से कितने सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा?
केंद्र सरकार की ओर से लाई गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों समेत 90 लाख सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा. हालांकि, यूपीएस ऑप्ट करने के बाद वापस एनपीएस का चयन नहीं किया जा सकेगा. इसके अलावा, 31 मार्च, 2025 से पहले रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एनपीएस के तहत 800 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाना है. यदि ये रिटायर्ड कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें बकाया राशि मिलेगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव की मानें, तो यूपीएस से 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा. यदि राज्य सरकार भी यूपीएस को अपने यहां लागू कर देती हैं, तो एनपीएस का हिस्सा बने कुल 90 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा.
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