नयी दिल्ली : रिलायंस जियो के विज्ञापन में बिना अनुमती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल करने के मामले में सरकार 500 रुपये का जुर्माना लगा सकती है. जियो अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए फिर से एक बार फ्री कॉल और फ्री इंटरनेट की स्कीम लेकर आया है. इस स्कीम का नाम हैप्पी न्यू ईयर ऑफर रखा गया है. इससे पहले जियो ने वेलकम ऑफर में 31 दिसंबर 2016 तक फी इंटरनेट और कॉल की सुविधा प्रदान की थी. इस ऑफर के साथ जियो के विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. इसकों लेकर कई कंपनियों और विपक्षी दलों ने काफी एतराज जताया था.
इसी पर कार्रवाई करते हुए कंपनी से 500 रुपये का जुर्माना वसूला जा सकता है. जियो के विज्ञापन में पीएम की तस्वीर छापे जाने का राजनीतिक दलों ने जमकर विरोध किया था और कंपनी का मोदी के साथ निजी संबंध होने का दावा किया था. किसी निजी कंपनी के विज्ञापन में बिना अनुमति के प्रधानमंत्री की तस्वीर छापे जाने को राजनीतिक दलों ने असंवैधानिक बताते हुए विरोध जताया था. राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल को लेकर बने 1950 के कानून के तहत कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
पिछले दिनों संसद में एक सवाल के जवाब में सूचना एवं प्रसारण मंत्री राजवर्धन राठौर ने कहा था कि जियो के विज्ञापन में प्रधानमंत्री की तस्वीर छापने और दिखाने के लिए कंपनी की ओर से किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गयी है. इस मामले में उचित कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने संकेत दिये थे कि कंपनी पर जुर्माना भी हो सकता है. इस पूरे मामले में रिलायंस जियो की ओर से कोई भी टिप्पणी नहीं की गयी है.
समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज शेखर के सवाल के जवाब में राठौड़ ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि रिलायंस जियो ने पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल अपने विज्ञापन में किया है. राठौड़ ने आगे कहा कि कंज्यूमर अफेयर्स, फूड ऐंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन मिनिस्ट्री की ओर से राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल के मामलों की निगरानी की जाती है. मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कंपनियों द्वारा पीएम मोदी के तस्वीर के गलत इस्तेमाल को लेकर विभाग को अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है. एक अधिकारी ने कहा कि यदि विज्ञापन में किसी भी तरह से कानून का उल्लंघन पाया जाता है तो जरूरी कदम उठाएंगे.
इन चिन्हों या तस्वीरों का इस्तेमाल व्यावसायिक उपयोग में नहीं हो सकता
राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों के गलत इस्तेमाल को लेकर 1950 में बने कानून के सेक्शन-3 के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने व्यापारिक या कारोबारी उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों और नामों का केंद्र सरकार या सक्षम अधिकारी से अनुमति लिये बिना इस्तेमाल नहीं कर सकता. इस कानून के तहत करीब तीन दर्जन नामों और चिह्नों की सूची तैयार की गयी है, जिनका कोई व्यक्ति सरकारी अनुमति के बिना अपने कारोबारी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता. इनमें देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्य के गवर्नर, भारत सरकार या कोई राज्य सरकार, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, संयुक्त राष्ट्र संघ, अशोक चक्र और धर्म चक्र शामिल हैं.
मुकेश अंबानी ने पहले की रखा था अपना पक्ष
जियो के विज्ञापन में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के इस्तेमाल पर मचे विवाद में मुकेश अंबानी ने भी अपना पक्ष रखा है. अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को दिये इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने कहा था कि इस मामले पर विवाद बेमानी है. मुकेश अंबानी ने कहा था, ‘इस विवाद का कोई आधार नहीं है. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं. वे जितना आपके प्रधानमंत्री हैं, उतना ही मेरे प्रधानमंत्री हैं.’ उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का विजन सामने रखा है, जिससे वे काफी प्रभावित हैं. मुकेश अंबानी ने कहा, ‘हम अपनी सेवा भारत के नेता, भारत और 1.2 अरब भारतीयों को समर्पित कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं है.
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