कैशलेस ट्रांजेक्शन पर साइबर हमले का खतरा, साइबर सुरक्षा एजेंसी ने जारी की चेतावनी
नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद नरेंद्र मोदी सरकार लगातार कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की वकालत कर रही है. लेकिन इसमें साइबर हमले का खतरा भी काफी बढ़ गया है. केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद माइक्रो-एटीएम और पीओएस काउंटर के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर देश की प्रमुख साइबर सुरक्षा एजेंसी सीईआरटी-इन […]
नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद नरेंद्र मोदी सरकार लगातार कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की वकालत कर रही है. लेकिन इसमें साइबर हमले का खतरा भी काफी बढ़ गया है. केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद माइक्रो-एटीएम और पीओएस काउंटर के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर देश की प्रमुख साइबर सुरक्षा एजेंसी सीईआरटी-इन ने ग्राहकों, बैंकरों और व्यापारियों को इन प्रणालियों पर मालवेयर हमलों को लेकर आगाह करते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उनसे उच्च एनक्रिप्शन तकनीक को अपनाने के लिए कहा है.
हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने और भारतीय इंटरनेट डोमेन की सुरक्षा को मजबूत करने वाली नोडल एजेंसी सीईआरटी-इन ने माइक्रो-एटीएम (ऑटोमेटेड ट्रेलर मशीन) और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) प्रणाली को लेकर दो परामर्श जारी किये हैं. परामर्श में कहा गया है कि माइक्रो-एटीएम बहुत कम बिजली से चलते हैं और जीपीआरएस नेटवर्क के जरिये बैंकों के सर्वरों से जुड़ते हैं.
एजेंसी ने ऐसे नेटवर्क की सुरक्षा विशेषताओं को मजबूत बनाने और अपडेट करने की जरुरत पर बल दिया है ताकि लोगों और बैंकों की गोपनीय जानकारी को हैक होने से बचाया जा सके. परामर्श में कहा गया है, ‘परंपरागत रूप से पीओएस प्रणाली में प्रविष्ट किये जाने वाले डेटा मेमोरी में होते हैं और गैर-एनक्रिप्टेड रूप में होते हैं, जिस कारण साइबर हमला करने वाले और डेटा चुराने की कोशिश करने वाले बहुत अधिक सफल हो सकते हैं.’
इसमें साथ ही कहा गया है, ‘जल्द से जल्द कार्ड के डेटा को एनक्रिप्ट करके और मशीन में अधिकतम समय तक एनक्रिप्ट सुनिश्चित करके इसके खतरों को कम किया जा सकता है. मेमोरी में डेटा एनक्रिप्ट करने से जुड़े मसले के समाधान के लिए प्वाइंट टू प्वांइट एनक्रिप्शन का प्रयोग किया जा सकता है.’
एजेंसी ने ग्राहकों से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के पिन को लेकर सतर्कता बरतने और अनजान लोगों के साथ विवरण साझा नहीं करने का सुझाव दिया है.
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