नयी दिल्ली : नोटबंदी के दुष्परिणाम की ओर ध्यान दिलाते हुए आज एसोचैम ने नौकरीपेशा लोगों को नौकरी पर खतरा बताया. एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा कि नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. उद्योग घराने पीडि़त है और बड़े तादाद में लोगों की नौकरियां जा सकती हैं. कई लोग तो बेराजगार हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ उपाय अपनाने चाहिए. बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र में सुधार के लिए करों में कटौती की आवश्यकता है.
एसोचैम ने बुधवार को कहा था कि केन्द्र सरकार के नोटबंदी के कदम से देश में काले धन के पैदा होने पर खास असर नहीं पड़ेगा. दूसरी ओर भारत जैसे बड़े देश को कैशलेस सोसाइटी बनने में कम से कम पांच साल लगेंगे. एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने कहा था कि नोटबंदी के पीछे सोच तो बहुत अच्छी थी लेकिन इसका क्रियान्वयन बेहद खामियों भरा रहा.
उन्होंने कहा कि 500 और हजार रुपये के नोटों का चलन बंद किये जाने के बाद के हालात से देश के सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. साथ ही इससे मंदी आने का भी खतरा है. एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी से काले धन के सृजन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. जब तक राजनीतिक चंदे को आधिकारिक शक्ल नहीं दी जाएगी और रियल एस्टेट की स्टाम्प ड्यूटी को न्यूनतम नहीं किया जाएगा, तबतक इससे फायदा होने की गुंजाइश कम है. जबतक पारदर्शी निर्णय नहीं किये जाएंगे, तब तक काले धन पर लगाम लगाना मुमकिन नहीं है.
कहा गया कि नोटबंदी की वजह से व्यापार के वितरण क्षेत्र यानी मंडियों और उनमें काम करने वाले मजदूरों और कामगारों पर सबसे बुरा असर पड़ा है. बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गये हैं.
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