नयी दिल्ली : फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में वृद्धि मजबूत होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था को व्यक्त करता है और इससे उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा लेकिन साथ ही पूंजी निकासी से उनकी स्थिति नाजुक हो सकती है. मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने आज यह कहा. मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, […]
नयी दिल्ली : फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में वृद्धि मजबूत होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था को व्यक्त करता है और इससे उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा लेकिन साथ ही पूंजी निकासी से उनकी स्थिति नाजुक हो सकती है. मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने आज यह कहा. मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढाये जाने से सीमा पार पूंजी बहिर्प्रवाह बढेगा और इसका उन देशों पर नकारात्मक प्रभाव होगा जिन्हें बडे पैमाने पर विदेशों से वित्त पोषण की जरूरत है, अधिक कर्ज है, वृहत आर्थिक असामानता या राजनीति तथा नीतियों में अनिश्चितता है.” ब्याज दर में वृद्धि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती को प्रतिबिंबित करता है और इसे 2018 तक जारी रहना चाहिए. अगर अमेरिकी वृद्धि से आयात की मांग बढती है तो उभरते बाजारों के निर्यातकों को लाभ होगा.
मूडीज का मानना है कि फेडरल रिजर्व धीरे-धीरे ब्याज दर में वृद्धि करेगा. दो से तीन बार वृद्धि से फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 2017 के अंत तक करीब 1.25 से 1.50 प्रतिशत हो जाएगी।” मूडीज की उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ विश्लेषक माधवी बोकिल ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व की उंची ब्याज दर से अमेरिका के मुकाबले उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव ज्यादा दिखेगा.’
अगर अमेरिकी वृद्धि से आयात के लिये मांग बढती है तो उभरते बाजारों को फायदा हो सकता है लेकिन अगर इससे वित्तीय संपत्तियों की कीमत का पुनर्निर्धारण होता है तथा वैश्विक वित्तीय स्थिति कडी होती है तो इससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है. मूडीज के अनुसार, ‘‘उन अर्थव्यवस्थाओं में इसका ज्यादा प्रभाव होगा जिनकी विदेशी मुद्रा कमाई और भंडार के मुकाबले विदेशों से वित्त की जरुरतें अधिक हैं
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