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जब उबर के सह-संस्थापक बिना वीजा के भारत पहुंच गये

नयी दिल्ली : उबर के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ट्राविस कलानिक जनवरी में जब भारत आये थे तो वह ‘अजीबो-गरीब स्थिति’ में फंस गये। वह बिना उपयुक्त बीजा के यहां पहुंच गये। उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद ही वह वापस भेजे जाने से बच सके. कलानिक को इस साल 16 जनवरी को यहां स्टार्ट-अप […]

नयी दिल्ली : उबर के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ट्राविस कलानिक जनवरी में जब भारत आये थे तो वह ‘अजीबो-गरीब स्थिति’ में फंस गये। वह बिना उपयुक्त बीजा के यहां पहुंच गये। उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद ही वह वापस भेजे जाने से बच सके.

कलानिक को इस साल 16 जनवरी को यहां स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम में भाग लेना था. वह बीजिंग से तडके यहां पहुंचे और बाद में पता चला कि उनके पास उपयुक्त वीजा नहीं हैं. उसके बाद गृह सचिव और आईबी के निदेशक के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें अनुमति मिली.
एशिया की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था तथा उबर के सबसे बडे विदेशी बाजार भारत की यात्रा के बारे में यह जानकारी खुद कलानिक ने गुरुवार को सार्वजनिक रुप से विशेष बातचीत में दी. इसकी मेजबानी नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने की.
उन्होंने कहा, ‘‘वीजा पर तारीख थी. भारतीय वीजा पर तारीख उल्टी दिशा में होती है. अगर वे अमेरिका में होते तो 12 नवंबर को 11-12 लिखा जायेगा जबकि भारत में यह तिथि 12-11 लिखी जायेगी। यह एक गलतफहमी थी और मैं बिना वीजा के बीजिंग से दिल्ली आ गया और वह मेरे लिये ‘बडी संकट’ की स्थिति बन गई थी.” कलानिक ने कहा कि कांत ने उनकी मदद की। उन्होंने उनका (कांत का) धन्यवाद किया.
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में आपने मुझे देश में प्रवेश करने की अनुमति दिलवाई.” पूर्व में डीआईपीपी सचिव रहे कांत ने कहा कि वह आधी रात 2.30 बजे जगे ‘‘और मुझे गृह सचिव और आईबी के निदेशक को जगाना पडा.” उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें :कलानिक: को वापस विमान में बिठा दिया गया था और उन्हें चीन वापस भेजा जा रहा था. चूंकि वह यहां स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम में भाग लेने के लिये आये थे, अत: हमने यह व्यवस्था की कि उन्हें वापस नहीं जाना पडे.”

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