मुंबई : राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने आज साइरस इन्वेस्टमेंट्स कंपनी की अंतरिम राहत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री परिवार की कंपनी की याचिका के निपटान तक अंतरिम राहत से इनकार किया. याचिकामें होल्डिंग कंपनी टाटा संसमें खराब व्यवहार, उत्पीड़न तथा कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया है. एनसीएलटी की खंडपीठ ने साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. तथा स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट काॅरपोरेशन की याचिका पर अंतत: अगले साल 31 जनवरी तथा एक फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया है. खंडपीठमें सदस्य न्यायिक बीएसवी प्रसाद कुमार तथा सदस्य तकनीकी वी नल्लासेनापति शामिल हैं. खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल वह अंतरिम राहत देने या अंतरिम सुनवाई पर विचार नहीं करेगी.
खंडपीठ ने साइरस पल्लोनजी मिस्त्री से याचिका पर आज से एक सप्ताहमें जवाब देने को कहा है. वहीं टाटा संस और अन्य प्रतिवादियाें से मिस्त्री के जवाब दाखिल करने के 15 दिन में जवाब देने को कहा गया है. एनसीएलटी ने याचिकाकर्ता कंपनियाें से इसके एक पखवाड़ेमें फिर जवाब देने को कहा है. खंडपीठ ने कहा कि अंतरिम राहत पर पक्षों को सुनने के बजाय वह मामले की तेजी से सुनवाई करेगी और एक महीने में आदेश सुनाएगी. संबंधित पक्षाें की सहमति से खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 31 जनवरी और एक फरवरी तय की है.
मिस्त्री के परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियाें ने कंपनी कानून की धारा 241 और 242 के तहत एनसीएलटीमें याचिका दायर की है. मिस्त्री के परिवार की टाटा संसमें 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रतन टाटा की अगुवाई वाली टाटा ट्रस्ट की कंपनीमें 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है. मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया है लेकिन अभी वह कंपनी के बोर्ड में बने हुए हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता एक सुंदरम ने न्यायाधिकरण से टाटा संस और उसके अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा को यह निर्देश देने को कहा है कि याचिका पर सुनवाई तथा उसके निपटान तक साइरस मिस्त्री को होल्डिंग कंपनी तथा टाटा समूह की अन्य कंपनियाें के निदेशक मंडल से न हटाया जाए.
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