नयी दिल्ली : केंद्र एवं राज्यों के बीच नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी में करदाताओं पर नियंत्रण का मुद्दा अभी सुलझ नहीं पाया है. हालांकि जीएसटी परिषद ने जीएसटी कानून को अमल में लाने वाले सहायक विधेयकों के अधिकतर उपबंधों को मंजूरी दे दी. इसको देखते हुए एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना एक तरह से असंभव-सा दिख रहा है.नोटबंदी के कारण राज्यों को यह भय है कि उनका टैक्स कलेक्शन कम होगा, इस कारण मुआवजा की मांग करने वाले राज्यों की संख्या बढ़ सकती है.
जीएसटी परिषद ने मुआवजा व्यवस्था में भी बदलाव किया जिसमें राज्यों को द्विमासिक आधार पर भुगतान की व्यवस्था होगी जबकि पहले तिमाही आधार पर भुगतान का फैसला किया गया था. दोहरे नियंत्रण तथा महत्वपूर्ण आईजीएसटी विधेयक के मुद्दे पर तीन-चार जनवरी को होने वाली अगली बैठक में विचार किया जाएगा. ये मुद्दे पिछली तीन बैठकों से अटके हैं.
वित्त मंत्री अरण जेटली ने जीएसटी परिषद की सातवीं बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि मुआवजा विधेयक के मसौदे के साथ-साथ केंद्रीय जीएसटी तथा राज्य जीएसटी (सीजीएसटी और एसजीएसटी) पर परिषद में सहमति की मुहर लग गयी है. जेटली ने कहा, ‘‘अगर आप मुझसे पूछते हैं कि कौन-सा महत्वपूर्ण मुद्दा बच गया है, तो वास्तव में मुख्य रूप से आईजीएसटी तथा दोहरे नियंत्रण का मुद्दा है. दूसरा मुद्दा इन विधेयकों की विधि मान्य भाषा है जिसे तीन-चार जनवरी को होने वाली अगली बैठक में रखा जाएगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि परिषद उसके बाद जीएसटी के तहत कर दर की हर श्रेणी में शामिल की जाने वाली वस्तुओं के मुद्दे को लेगी.
पूर्व में लक्जरी कारों तथा तंबाकू जैसे प्रतिकूल प्रभाव वाली वस्तुओं पर उपकर लगाकर राज्यों को मुआवजे के लिए राशि जुटाने का प्रस्ताव किया गया था लेकिन नोटबंदी के बाद राज्यों का मानना था कि अब अधिक राज्यों को जीएसटी के क्रियान्वयन से होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए समर्थन कीजरूरतहोगी.
पूर्व में यह सोचा गया था कि राजस्व नुकसान केलिए4-5 राज्यों को मुआवजे कीजरूरतहोगी. लेकिन 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी से राजस्व में नुकसान के कारण अब और अधिक राज्यों को राजस्व सहायता की आवश्यकता हो सकती है. सूत्रों के अनुसार ‘मुआवजा कोष के स्रोत’ सेजुड़ेकानून के हिस्से को फिर से तैयार किया जा रहा है. इसमें मुआवजा राशि को उपकर या अन्य कर के जरिये जुटाये जाने पर चर्चा होगी और फिर जैसा भी जीएसटी परिषद निर्णय करेगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि अब तक जो भी फैसले किये गये हैं, वे सर्वसहमति के आधार पर किये गये हैं. कोई भी निर्णय ‘मतदान या दो तथा लो’ के आधार पर नहीं किये गये. जीएसटी से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद उद्योग को तीन महीने के समय की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में सभी चीजें पूरी होने के बाद फैसला किया जाएगा. मैं स्वयं को बांधने नहीं जा रहा हूं. हमारा प्रयास यथाशीघ्र रास्ता साफ करने को लेकर है.
मुझे लगता है कि हम उपयुक्त रूप से आगे बढे हैं.’ यह पूछे जाने पर कि एक अप्रैल की समयसीमा अब भी है, जेटली ने कहा, ‘‘मैं इसके लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहा हूं….मेरे उपर छोडा जाए तो मैं इसे लागू करना चाहूंगा.’ दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि एक ही कानून है और दो प्रशासन है.
अब सवाल यह है कि ऑडिट प्रबंधन के लिए अधिकार क्षेत्र को कैसे बांटा जाए. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसका समाधान सूझ-बूझ से किया जाएगा.’ राज्य के मंत्रियों की राय थी कि पूर्व में 55,000 करोड़ रुपये के मुआवजे का जो फैसला किया गया था, उस पर फिर से काम करना होगा क्योंकि नोटबंदी के बाद राज्यों के राजस्व पर ज्यादा असर हो सकता है.
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि राज्यों को चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में 20 से 30 प्रतिशत के बीच राजस्व का नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण उन राज्यों की संख्या बढ सकती है जिन्हें मुआवजा दिया जाना था. इसका कारण नोटबंदी से कर संग्रह पर असर है.अमित मित्रा ने कहा है कि पहले चार-पांच राज्य ही मुआवजा की मांग कर रहे थे, लेकिन अब स्थिति अलग है, क्योंकि राज्यों का इससे कर कलेक्शन कम होगा.
जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने कहा कि जीएसटी परिषद विभिन्न विकल्पों पर विचार कर सकती है जिसमें मुआवजा के लिए वर्ष की संख्या 5 से बढाकर 6 करना या 55,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि होने पर सतत कोष गठित किया जाना शामिल है. तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कर रहे के पांडियाराजन का कहना था कि इसकी ‘अच्छी संभावना’ है कि मुआवजा राशि निर्धारित राशि 55,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी. बैठक में इस बारे में चर्चा नहीं हुई कि नोटबंदी के बाद मुआवजा राशि में कितनी वृद्धि की जाए. विभिन्न बहुपक्षीय एजेंसियसों और रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम किया है.
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया जबकि एशियाई विकास बैंक को जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत रहने की उम्मीद है. इससे पहले एडीबी ने 7.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था. वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को राजस्व में होने वाले नुकसान की पहले पांच साल तक पूरी भरपाई की जायेगी और क्षतिपूर्ति विधेयक को संसद द्वारा मंजूरी दी जायेगी. तीन और चार जनवरी को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में वित्त मंत्री राज्यों के साथ बजट पूर्व चर्चा भी करेंगे.
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