लगातार छप रहे हैं 2000 और 500 के नये नोट, फिर भी कैश की किल्‍लत क्‍यों ?

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को देर रात नोटबंदी की घोषणा की थी. फैसले को आज 46 दिन हो गये लेकिन फिर भी कैश को लेकर लोगों की दिक्‍कतें कम नहीं हो रही हैं. ज्‍यादातर लोगों को ऐसा लग रहा है कि 2000 और 500 के नोटों की कमी इसलिए हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2016 5:48 PM

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को देर रात नोटबंदी की घोषणा की थी. फैसले को आज 46 दिन हो गये लेकिन फिर भी कैश को लेकर लोगों की दिक्‍कतें कम नहीं हो रही हैं. ज्‍यादातर लोगों को ऐसा लग रहा है कि 2000 और 500 के नोटों की कमी इसलिए हो रही है क्‍योंकि देश में जितनी नोट की डिमांड है उतना नोट प्रिंटिंग प्रेस छाप ही नहीं पा रहे हैं.

लेकिन आरबीआई की ओर से जारी आंकड़े कुछ और ही बताते हैं. आरटीआई में पूछे गये सवाल पर आरबीआई ने जवाब देते हुए कहा कि 8 नवंबर से पहले ही 4.94 लाख करोड़ रुपये छाप लिये गये थे. जबकि आरबीआई ने बताया कि 19 दिसंबर तक देश के विभिन्‍न बैंकों को कुल 4.07 करोड़ रुपये दिये गये. जिसमें 920 फीसदी 2000 के नोट और 10 फीसदी 500 के नोट जारी किये गये.

देश में कैश की डिमांड बढ़ने के बाद आरबीआई ने देश के चारों प्रिंटिंग प्रेस को तेजी के साथ नोट छापने का आदेश दिया. यानि 19 दिसंबर के बाद नोट छपने की रफ्तार और भी बढ़ा दी गयी. इतनी अधिक मात्रा में नोट की छपाई के बाद भी बैंकों के पास कैश क्‍यों नहीं पहुंच रहे हैं यह बड़ा सवाल है.
इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता के साथ जो वायदा किया है कि उन्‍हें 50 दिनों का वक्‍त दिया जाए, स्थिति सामान्‍य हो जाएंगे. मोदी की यह वक्‍त भी अब पूरा होने वाला है. अगर कैश को लेकर स्थिति सामान्‍य हो जाती है तो ठीक नहीं तो विरोधियों का सरकार पर हमला और तेज हो जाएगा. गौरतलब हो कि नोटबंदी की घोषणा के बाद विपक्ष लगातार मोदी सरकार की आलोचना कर रही है. नोटबंदी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र भी काफी प्रभावित रहा और संसद सुचारू रूप से एक दिन भी नहीं चला.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version