अरुण जेटली ने दिये संकेत, इनकम टैक्स में मिल सकती है छूट

नयी दिल्ली : आगामी बजट में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राजस्व सेवा के 68 वें बैच के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि कराधान की दर नीचे की जा सकती है. कराधान की दर नीचे होने से हमारा सेवा क्षेत्र प्रतिस्पर्धी होगा.वित्त मंत्री के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2016 3:57 PM

नयी दिल्ली : आगामी बजट में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राजस्व सेवा के 68 वें बैच के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि कराधान की दर नीचे की जा सकती है. कराधान की दर नीचे होने से हमारा सेवा क्षेत्र प्रतिस्पर्धी होगा.वित्त मंत्री के इस बयान को टैक्स स्लैब में छूट से जोड़कर देखा जा रहा है.उन्होंने कृषि क्षेत्र में सिंचाई के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अगर आप मैन्यूफैक्चरिंग में निवेश करते है तो इसका प्रभाव देखने में दो तीन साल लग सकता है लेकिन सिंचाई में निवेश का असर अगले सीजन से ही दिखने लगता है.

ज्ञात हो कि नोटबंदी के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव ला सकती है. वर्तमान में टैक्स छूट की सीमा ढाई लाख है जिसे बढ़ाकर चार लाख रुपये तक किया जा सकता है. वित्त मंत्री जेटली ने राजस्व सेवा के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि जो टैक्स अदा नहीं करते उन्हें गंभीर सजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि 70 सालों से लोगों के बीच एक धारणा बनी हुई थी कि टैक्स की चोरी कर लेना कामर्शियल स्मार्टनेस है लेकिन सरकार ऐसी व्यवस्था का निर्माण करेगी, जिससे लोग टैक्स चोरी करने से बच नहीं पायेंगे.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजस्व सेवा के युवा अधिकारियों से कहा कि आने वाले दशकों में उन्हें देश में स्वैच्छिक कर अनुपालन में वृद्धि देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि करदाताओं को यह समझना चाहिए कि वैध कर का भुगतान उनकी जिम्मेदारी है और उसके बाद बदले में आप करदाता पर भरोसा कर सकते हैं. जिन मामलों में स्थिति स्पष्ट है उन्हें छोडकर आपको करदाताओं पर भरोसा होना चाहिए और आप केवल उन्हीं चुनिंदा मामलों में व्यापक आडिट या जांच के लिये आगे बढें.’ जेटली ने कहा कि कर संग्रहकर्ताओं को अपने कौशल को निखारना होगा क्योंकि केंद्र तथा राज्यों का अप्रत्यक्ष कर अंतत: एक होने जा रहा है.

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘एक बार केंद्र तथा राज्यों का कर इस एक कर में तब्दील होता है, केंद्र तथा राज्यों के प्राधिकरणों के बीच सहयोग खुद-ब-खुद बहुत उच्च मानदंड तक पहुंच जाएगा.’ जेटली ने कहा कि गतिविधियों का मानकीकरण, प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिये काफी बेहतर निगरानी कौशल की आवश्यकता होगी.उन्होंने कहा कि आपराधिक या कर कानून में कोई अस्पष्टता नहीं है तथा नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए कड़े सिद्धांतों के अनुपालन की जरुरत है.

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