अरुण जेटली ने दिये टैक्स कम करने के संकेत, ”लो टैक्स” का क्या है फायदा
नयी दिल्ली : 8 नवंबर को नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद केंद्र सरकार लगातार कैशलेस सोसायटी की बात कर रही है. कैशलेस ट्रांजेक्शन पर सरकार लोगों को टैक्स में राहत देने का वादा भी कर रही है. सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व के दूसरे विकसित देशों की तर्ज पर […]
नयी दिल्ली : 8 नवंबर को नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद केंद्र सरकार लगातार कैशलेस सोसायटी की बात कर रही है. कैशलेस ट्रांजेक्शन पर सरकार लोगों को टैक्स में राहत देने का वादा भी कर रही है. सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व के दूसरे विकसित देशों की तर्ज पर भारतीय टैक्सेशन सिस्टम को भी ले जाने पर जोर दिया है. जेटली का मानना है कि अगर देश को व्यापक आधार वाली अर्थव्यवस्था बनाना है तो दुनिया के दूसरे देशों के अनुरुप कर दरों का निम्न स्तर होना जरुरी है.
गौरतलब है कि अधिकत विकसित अर्थव्यवस्थाओं में टैक्स की दर भारतीय दरों की तुलना में कम हैं. यह अलग बात है कि हाई टैक्स से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. लेकिन इसमें भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी की गुंजाइश भी ज्यादा हो सकती है.
टैक्स दरों में कमी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा और आवश्यकता दोनों
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह अब बीते दिनों की बात हो गयी कि टैक्स की दरें उंची रखने से अधिक राजस्व मिलता है. 1991 से अर्थव्यवस्था का यह सिद्धांत बदल गया है. उन्होंने कहा, ‘…. आपको व्यापक आधार वाली अर्थव्यवस्था की जरुरत है जिसके लिये आपको करों के निम्न स्तर की आवश्यकता है. आपको वस्तुओं का विनिर्माण करने और सेवाएं उपलब्ध कराने की जरुरत है जो प्रतिस्पर्धी हों और इसीलिए आपके कर वैश्विक स्तर के अनुरुप होने चाहिए.’
जेटली ने स्वीकार किया कि प्रतिस्पर्धा केवल घरेलू नहीं है बल्कि वैश्विक है. उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों से लोगों के दिमाग में है कि अगर सरकार को टैक्स नहीं दिया जाए तो इसमें कुछ भी अनैतिक या अनुचित नहीं है.
लो टैक्स के क्या होंगे फायदे
विशेषज्ञों की राय है कि अगर सरकार टैक्स प्रणाली में सुधार करे और टैक्स को थोड़ा किफायती बनाये तो टैक्स चोरी की घटनाओं में कमी आयेगी. ऐसे में सरकार के टैक्सेशन सिस्टम से ज्यादा लोग जुड़ेंगे और राजस्व भी अधिक मिलेगा. अधिक बचाने की लालच में लोग टैक्स चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. जेटली ने राजस्व सेवा के अधिकारियों से कहा कि आने वाले दशकों में उन्हें देश में स्वैच्छिक कर अनुपालन में वृद्धि देखने को मिलेगा.
जेटली ने कहा, ‘और करदाताओं को यह समझना चाहिए कि वैध कर का भुगतान उनकी जिम्मेदारी है और उसके बाद बदले में आप करदाता पर भरोसा कर सकते हैं. जिन मामलों में स्थिति स्पष्ट है उन्हें छोड़कर आपको करदाताओं पर भरोसा होना चाहिए और आप केवल उन्हीं चुनिंदा मामलों में व्यापक आडिट या जांच के लिये आगे बढ़ें’ जेटली ने कहा कि कर संग्रहकर्ताओं को अपने कौशल को निखारना होगा क्योंकि केंद्र तथा राज्यों का अप्रत्यक्ष कर अंतत: एक होने जा रहा है.
टैक्स संसोधन के लिए सरकार का जीएसटी लागू करने पर जोर
सरकार अप्रैल 2017 तक देशभर में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करना चाहती है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर से पहले देशभर में जीएसटी लागू करवाना संभव नहीं है. इसका जिक्र करते हुए जेटली ने कहा, ‘एक बार केंद्र तथा राज्यों का कर इस एक कर में तब्दील होता है, केंद्र तथा राज्यों के प्राधिकरणों के बीच सहयोग खुद-ब-खुद बहुत उच्च मानदंड तक पहुंच जाएगा.’ जेटली ने कहा कि गतिविधियों का मानकीकरण, प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिये काफी बेहतर निगरानी कौशल की आवश्यकता होगी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.