क्यों चीन के ‘प्रमुख डिजिटल बाजार” के रूप में तब्दील हो रहा है भारत, क्या हैं उपाय?
‘मेक इन इंडिया’ के नारे के बाद भी भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन का मुकाबला करता नहीं दिख रहा है. भारत में चीनी मोबाइल कंपनियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. चीन हर साल भारत में 20 डॉलर की इलेक्ट्रानिक्स सामग्री का निर्यात करता है. मैन्युफैक्चरिंग को लेकर सरकार ने इस साल भी कई […]
‘मेक इन इंडिया’ के नारे के बाद भी भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन का मुकाबला करता नहीं दिख रहा है. भारत में चीनी मोबाइल कंपनियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. चीन हर साल भारत में 20 डॉलर की इलेक्ट्रानिक्स सामग्री का निर्यात करता है. मैन्युफैक्चरिंग को लेकर सरकार ने इस साल भी कई घोषणाएं की लेकिन यह अभी तक अपेक्षित परिणाम नहीं दिखा पाया. भारत का ज्यादा जोर हथियारों के निर्माण पर रहा.
मार्गन स्टैनले के रुचिर शर्मा के मुताबिक भारत को हथियार निर्माण से पहले छोटे चीजों मसलन मूर्तियों व दीपावली में उपयोग होने वाले बत्तियों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए. आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए स्किल्ड व उन्नत टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है. भारत में अभी इस तरह के रिसर्च संस्थान का आभाव है.
भारत में माइक्रोमैक्स ने चीनी स्मार्टफोन कंपनियों को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन चीनी कंपनियों के आगे टिक नहीं पायी. भारतीय बाजार में जिन चीनी कंपनियों की अच्छी पैठ है उनमें कूलपैड, जिओनी, हुवई, लेनोवो , मेजू, वन प्लस, ओप्पो, वीवो, जिओमी समेत कई कंपनियां हैं जो बाजार में लगातार अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं. दुनिया की फैक्टरी कही जाने वाली चीन की कड़ी निगाह भारत के उभरते हुए बाजार पर है.
मैन्युफैक्चरिंग के लिए सही वक्त
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारत मैन्युफैक्चरिंग के लिए सबसे सही ठिकाना है. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर है. रुपये की कमजोरी का फायदा भारत उठा सकता है. भारत मे निर्मित समान दुनिया के अन्य बाजारों में सस्ती दरों में बेची जा सकती है. युवा आबादी होने की वजह से यहां सस्ता श्रम उपलब्ध है. उधर चीन की आबादी बूढ़ी हो रही है. चीन की मुद्रा युआन भी काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसे हालत में चीन ज्यादा दिनों तक दुनिया की फैक्टरी का तमगा को बरकरार नहीं रख पायेगा. कभी जापान को मैन्युफैक्चरिंग की दुनिया में बादशाहत हासिल थी. आज चीन को है. अब चीन के बाद भारत में इसके शिफ्ट होने की संभावना है.
भारत के सामने क्या है चुनौती
भारत की स्थिति सेवा क्षेत्र में काफी मजबूत है. भारत की आइटी कंपनियां दुनिया भर में फैली हुई हैं, लेकिन सेवा क्षेत्र में वृद्धि का लाभ शिक्षित वर्ग को होता है. सर्विस सेक्टर में वृद्धि का लाभ वंचित तबके को नहीं हो पाता है क्योंकि आमतौर पर सर्विस सेक्टर में बेहतर कॉलेजों से पढ़े-लिखे लोगों की जरूरत होती है.इसके उलट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अपेक्षाकृत कम पढ़े-लिखे लेकिन स्किल्ड लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाता है.
तकनीक व अधारभूत संरचना के मामले में काफी आगे है चीन
अधारभूत संरचना व तकनीक के मामले में चीन भारत से आगे है. इस साल चीन ने 20,000 किमी तक हाइस्पीड रेलवे ट्रैक बिछाने के लक्ष्य को पूरा किया. इसी साल अन्य उपलब्धियों में चीन ने AG 600 नाम से दुनिया का सबसे बड़ा उभयचर प्लेन बनाया. 38 मीटर लंबे इस विमान का इस्तेमाल जंगल की आग को रोकने व समुद्र में तूफान की हालत में बचाव के लिया किया जा सकता है. शानदार रेल मार्ग, छोटे शहरों तक एयरपोर्ट, अच्छी सड़कें व व्यापारिक बंदरगाहों की वजह से चीन दुनिया के लिए ड्रैगन साबित हो रहा है.
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