नयीदिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर गतिरोध आज भी जारी रहा. करदाताआें पर नियंत्रण तथा समुद्री क्षेत्र में व्यापार पर कराें को लेकर केंद्र और राज्य अपने-अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. माना जा रहा है कि इस गतिरोध की वजह से जीएसटी का क्रियान्वयन सितंबर तक टल सकता है. वहीं, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत दूरसंचार, आइटी, बैंक, बीमा उद्योग केंद्रीकृत पंजीकरण की व्यवस्था चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में एकीकृत जीएसटी-कानून पर चर्चा हुई, कुछ मुद्दे अभी भी बाकी, हम 16 जनवरी को फिर बैठक करेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि समुद्री क्षेत्र में होने वाले व्यापार पर कर लगाने का अधिकार केंद्र या राज्यों का हो, इस पर भी समाधान करीब दिखता है, इसका एक संवैधानिक समाधान निकालने की जरुरत है. जेटलीने पहली अप्रैल से जीएसटी लागू किये जाने की संभावना के बारे में कहा, हमें परेशानियों का पता है, समय कम है. हमने राज्यों से कर राजस्व प्राप्ति के मासिक आंकड़ें देने को कहा है ताकि उनके राजस्व पर नोटबंदी के प्रभाव को देखा जा सके.
जीएसटी के मामले में शक्तिशाली जीएसटी परिषद की दो दिन की बैठक में इन मुद्दाें पर समाधान निकलता नहीं दिखा. परिषद की यह आठवीं बैठक है जिनमें इन जटिल मुद्दों पर कुछ प्रगति नहीं दिखाई दी. गैर-भाजपा शासित राज्याें का मानना है कि अब नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था सितंबर तक ही लागू हो पायेगी.
जीएसटी परिषद की अगली बैठक अब 16 जनवरी को
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक अब 16 जनवरी को होगी. परिषद में राज्याें के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इस बैठक में करदाताआें के नियंत्रण के मुद्दे को हल करने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही समुद्री क्षेत्र में होने वाले व्यापार पर राज्यों को कर लगाने के अधिकार संबंधी मुद्दे को भी अंतिम रूप देने की कोशिश होगी.
सितंबर से अमल में लाना संभव : थॉमस इसाक
केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि जीएसटी परिषद के समक्ष अभी राज्याें को जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद मुआवजे के वित्त पोषण तथा राज्याें की एकीकृत जीएसटी (आइजीएसटी) में भागीदारी के मुद्दे अटके हैं. उन्हाेंने कहा, ‘‘काफी मेहनत करने के बाद इसे सितंबर से अमल में लाना संभव है. मैं जीएसटी को जून-जुलाई में क्रियान्वित करने को लेकर आशान्वित नहीं हूं. यह नया कर है और इसमें काफी जटिलता है. ऐसे में पूरी तैयारी के बाद ही इस पर आगे बढ़ना चाहिए. ऐसे में मेरी समझ के अनुसार जीएसटी को सितंबर से लागू किया जायेगा.’
राजस्व को राज्य-केंद्र के बीच 60:40 अनुपात में बांटा जाये : केरल के वित्त मंत्री
केरल के वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ राज्य चाहते हैं कि ऊंचे कर दायरे में जीएसटी से मिलने वाले राजस्व को राज्य-केंद्र के बीच 60:40 अनुपात में बांटा जाये. वर्तमान में इसके लिए 50:50 का अनुपात तय किया गया है. इसाक ने कहा कि चार अलग-अलग दरें तय की गयी हैं. सबसे ऊंची दर 28 प्रतिशत की है. इसमें से कितना केंद्र का और कितना राज्याें का हिस्सा होगा, कानून में इसे परिभाषित नहीं किया गया है. ऐसा मान लिया गया है कि यह 50:50 के अनुपात में होगा.
केंद्र और राज्याें के वित्तीय संबंधाें में असंतुलन
‘‘आजादी के बाद ही केंद्र और राज्याें के वित्तीय संबंधाें में असंतुलन है और यह लगातार बढ़ रहा है. राज्याें के अधिकाराें में कटौती हो रही है.’ उन्हाेंने कहा कि इस चीज को इस तरीके से सुधारा जा सकता है कि राज्याें का जीएसटी में हिस्सा 60 प्रतिशत हो. कई राज्याें ने इसका समर्थन किया है. केंद्र ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस पर बाद में चर्चा करना तय हुआ है.
केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ रहा है तालमेल : इसाक
इसाक ने कहा कि केंद्र और राज्याें के बीच तालमेल बढ़ रहा है. ‘‘केंद्र कुछ चीजाें पर फिर से विचार करने को तैयार है. कुल मिलाकर केंद्र एक कदम पीछे जाने को तैयार है. यदि वह वास्तव में ऐसा करता है, तो मेरा मानना है कि सहमति बन जायेगी. आइजीएसटी के बारे में इसाक ने कहा कि संविधान संशोधन की एक व्याख्या के अनुसार आइजीएसटी कर केंद्र द्वारा लगाया, जुटाया और निर्दिष्ट किया जायेगा. बैठक के दौरान राज्याें ने कहा कि आइजीएसटी को राज्याें की भागीदारी तथा दोहरे नियंत्रण के बिना लागू नहीं किया जा सकता.
दोहरे नियंत्रण के मुद्दे परअाजनहींहुआ विचार विमर्श
उन्हाेंने कहा कि कुछ राज्य 1.5 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले करदाताआें पर अपने नियंत्रण की मांग पर टिके हुए हैं. कुल राजस्व में ऐसे करदाताआें का हिस्सा 15 प्रतिशत है. जीएसटी परिषद की आज की बैठक में दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर विचार विमर्श नहीं हुआ. इसाक ने कहा, ‘‘केंद्र इस बारे में राज्यों की स्थिति को समझ रहा है. यदि वे 16 जनवरी को फैसला ले पाते हैं तो हम इसमें आगे बढ़ पायेंगे. कुल मिलाकर केंद्र एक कदम पीछे खींच रहा है. यदि वह वास्तव में एक और कदम पीछे खींचता है, तो सहमति बन सकती है.’
समुद्र में व्यापार के बारे में इसाक ने कहा…
समुद्र में व्यापार के बारेमें उन्हाेंने कहा, ‘‘विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी सेज राज्याें के क्षेत्र में आता है, लेकिन इसे स्वतंत्र क्षेत्र माना जाता है. कुछ इसी तरह का बर्ताव जीएसटी कानून में तटवर्ती जलक्षेत्र के मामले में दिया जा सकता है. केंद्र इस स्थिति को स्वीकार करता दिख रह है. हालांकि, अभी उसने इस पर कुछ कहा नहीं है, लेकिन 16 जनवरी को इस पर कुछ कहेगा.
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