Loading election data...

जीएसटी आने के बाद अमल के लिए उद्योगों को चाहिए तीन महीने का समय

नयी दिल्ली : उद्योग जगत का मानना है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में अंतिम सहमति बनने और नियम-कायदे जारी होने के बाद इस पर अमल के लिये उसे कम से कम तीन माह का समय चाहिये. देश के अग्रणी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ‘फिक्की’ के नये अध्यक्ष पंकज आर. पटेल ने बातचीत में यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2017 5:58 PM

नयी दिल्ली : उद्योग जगत का मानना है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में अंतिम सहमति बनने और नियम-कायदे जारी होने के बाद इस पर अमल के लिये उसे कम से कम तीन माह का समय चाहिये. देश के अग्रणी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल ‘फिक्की’ के नये अध्यक्ष पंकज आर. पटेल ने बातचीत में यह बात कही है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें जीएसटी के ‘रुल’ (नियम) चाहिये, एक बार नियम आ जायें तो उसके बाद हमें अपने सॉफ्टवेयर को उसके अनुरुप करने के लिये तीन माह का समय चाहिये. ” पटेल ने कहा, ‘‘मोटे तौर पर उद्योगों की सब तैयारी है, लेकिन किस वस्तु पर किस दर से कर लगेगा यह जीएसटी के नियम सामने आने के बाद ही पता चलेगा. हमारे आपूर्तिकर्ता और आगे खरीदारों को भी नियमों के अनुरुप तैयारी करनी होगी.

बिल बुक भी नयी छपानी होगी, नियम आने पर ही यह तैयारी पूरी होगी. ” उल्लेखनीय है कि जीएसटी व्यवस्था को लागू करने के लिये जीएसटी परिषद ने चार स्तरीय कर ढांचे :पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत: को अंतिम रुप दिया है. इसमें आवश्यक वस्तुओं के लिये निचली दर होगी जबकि गैर-जरुरी और भोग विलास की वस्तुओं पर सबसे उंची दर से कर लगाया जायेगा. सरकार का इरादा अगले वित्त वर्ष से जीएसटी लागू करने का है. वित्त मंत्री अरण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की इस व्यवस्था को लागू करने के लिये तेजी से काम कर रही है. हालांकि, अभी कुछ मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाई है जिसकी वजह से एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू होना मुश्किल नजर आ रहा है.

फिक्की अध्यक्ष पटेल से जब पूछा गया कि जीएसटी से क्या फायदे हैं? जवाब में उन्होंने कहा ‘‘काफी बडा क्षेत्र असंगठित है, उसे कर दायरे में लाने से मदद मिलेगी, कर चोरी रकेगी। सब जगह एक जैसी वस्तुओं पर समान दर से कर लगेगा, सरकार का राजस्व बढेगा और अंतत इन बढे हुए संसाधनों से सार्वजनिक हित के कार्य हो सकेंगे।” नोटबंदी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इससे अलमारी-तिजोरी में रखा पैसा बाहर आ गया, जो पैसा अंदर बंद था वह बैंकों में पहुंच गया, यह धन देश में आर्थिक गतिविधियां बढाने के काम आयेगा, जिसका लाभ अंतत: देश की जनता को होगा.
जायडस कैडिला हेल्थकेयर के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पंकज आर. पटेल ने पिछले महीने फिक्की की 89वीं वार्षिक आम बैठक की समाप्ति पर वर्ष 2016-17 के लिये देश के इस प्रमुख उद्योग मंडल का अध्यक्ष पद संभाला. वह भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद की वित्त समिति के चेयरमैन भी हैं. उनके साथ एडलवेइस समूह के राशेस शाह को फिक्की का वरिष्ठ उपाध्यक्ष और फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड के कार्यकारी चेयरमैन मालविंदर मोहन सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया. पटेल ने कहा कि नोटबंदी का सबसे बडा फायदा यह हुआ कि बैंकों में बहुत कम समय में काफी नकदी पहुंच गई और उसकी वजह से ब्याज दर कम हुई है.
उन्होंने कहा ‘‘भारत के इतिहास में पहली बार एक झटके में ब्याज दर में एक प्रतिशत तक कमी हुई है. इससे कर्जदारों की मासिक किस्तों का बोझ भी कम होगा। ब्याज दर कम होने से मांग बढेगी, आर्थिक गतिविधियां बढेंगी जिसका सभी को लाभ मिलेगा।” हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि नोटबंदी से जीडीपी वृद्धि पर इस साल कुछ असर पड सकता है और यह सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2016-17 के लिये जीडीपी अनुमान जारी करते हुये इसके वर्ष के दौरान 7.1 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान जारी किया है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version