नौकरीपेशा लोगों को बजट में सरकार दे सकती है स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन का तोहफा!
नयी दिल्ली : फरवरी के पहले ही दिन पेश होने वाली बजट में देश की नरेंद्र मोदी सरकार नौकरीपेशा लोगों को स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन का तोहफा दे सकती है. इसका कारण यह है कि आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय ईश्वर समिति ने एक बार फिर नौकरीपेशा लोगों […]
नयी दिल्ली : फरवरी के पहले ही दिन पेश होने वाली बजट में देश की नरेंद्र मोदी सरकार नौकरीपेशा लोगों को स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन का तोहफा दे सकती है. इसका कारण यह है कि आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय ईश्वर समिति ने एक बार फिर नौकरीपेशा लोगों को बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन देने की सिफारिश की है. अगर सरकार ने इस समिति की ओर से दोबारा की गयी सिफारिश को मान लेती है, तो नौकरीपेशा लोगों को आयकर में भारी छूट का फायदा मिल सकता है. हालांकि, इस समिति ने वित्त वर्ष 2016-17 के बजट के पहले भी सरकार को आयकर में भारी छूट देने की सिफारिश की थी.
सूत्रों के अनुसार, ईश्वर समिति ने एक बार फिर सरकार से स्टैंडर्ड डिडक्शन देने की सिफारिश की है. इसमें अभी मिलने वाली छोटी छूट और भत्ते शामिल हो सकते हैं. हालांकि, समिति ने डिडक्शन की सीमा तय करने का जिम्मा सरकार के ऊपर छोड़ दिया है. इसके अलावा, ईश्वर समिति ने खाली पड़े मकानों पर लगने वाले नेशनल टैक्स को भी खत्म करने की सिफारिश की है. ईश्वर समिति ने कैपिटल गेन टैक्स में भी बदलाव की सिफारिश की है. माना जा रहा है कि बजट में ईश्वर कमिटी की सिफारिशें शामिल हो सकती हैं.
2016-17 के बजट में ईश्वर समिति ने की थी ये सिफारिश
वित्त वर्ष 2016-17 में बजट पेश होने के पहले आयकर कानूनों को सरल बनाने पर सरकार को सुझाव देने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने स्रोत पर कर (टीडीएस) की दर घटाने, टैक्स कटौती सीमा बढ़ाने तथा विदहोल्डिंग टैक्स की दर में कटौती का सुझाव दिया था. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरवी ईश्वर समिति ने अपनी 78 पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि देश में करीब 65 फीसदी व्यक्तिगत आयकर संग्रह टीडीएस के जरिये होता है. ऐसे में टीडीएस प्रावधानों को अधिक अनुकूल बनाने की जरूरत है. पिछले कुछ साल से ये प्रावधान जटिल बने हुए हैं.
टीडीएस दर को 10 से 5 फीसदी करने का दिया था सुझाव
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से टीडीएस की दर घटाने की सीमा को बढ़ाने तथा इसको तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया था. इसके साथ ही, समिति ने टीडीएस दरों में कटौती की भी सिफारिश की है. पिछले साल के बजट से पहले समिति ने सरकार सिफारिश करते हुए कहा था कि व्यक्तिगत लोगों तथा हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए टीडीएस दर को मौजूदा 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए. फिलहाल, टीडीएस कटौती के लिए बहुत छोटी वार्षिक सीमाएं लागू हैं.
प्रतिभूतियों और एनएसएस ब्याज दर की तय की गयी थी ये सीमाएं
ईश्वर समिति ने पिछले साल के बजट से पहले प्रतिभूतियों पर ब्याज तथा राष्ट्रीय बचत योजना (एनएसएस) पर ब्याज के मामले में इसकी सीमा 2,500 रुपये तय की थी. निजी जमा तथा कमीशन या ब्रोकरेज में ब्याज भुगतान पर यह सीमा 5,000 रुपये थे और बैंक ब्याज भुगतान मामले में यह सीमा 10,000 रुपये रखी गयी थी. समिति ने सुझाव दिया था कि प्रतिभूतियों पर ब्याज के मामले में टीडीएस की सीमा को मौजूदा 2,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपए वार्षिक किया जाना चाहिए. साथ ही, इसके लिए कर की दर को आधा यानी 5 फीसदी किया जाना चाहिए.
बैंक जमा से आय पर टीडीएस सीमा को बढ़ाने की थी सिफारिश
वहीं, समिति का प्रस्ताव था कि बैंक जमा से आय पर टीडीएस सीमा को मौजूदा 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 किया जाना चाहिए. समिति की सिफारिश में अन्य के लिए इसे 5,000 रुपये करने का सुझाव दिया गया है. समिति ने ठेकेदार को भुगतान के मामले में एकबारगी लेनदेन की 30,000 रुपये और वार्षिक 75,000 रुपये की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपये वार्षिक करने का सुझाव दिया था.
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