सावधान ! टैक्स चोरी के 32,000 मामलों की जांच कर रहे हैं सेबी और आयकर विभाग
नयी दिल्ली : देश में टैक्स चोरी करने वालों के लिए एक बुरी खबर है. वह यह कि शेयर बाजार की निगरानी करने वाला सेबी और आयकर विभाग टैक्स चोरी के करीब 32,000 मामलों की जांच करने में जुट गये हैं. इन मामलों में टैक्स चोरी साबित हो जाने पर कड़ी कार्रवाई भी की जा […]
नयी दिल्ली : देश में टैक्स चोरी करने वालों के लिए एक बुरी खबर है. वह यह कि शेयर बाजार की निगरानी करने वाला सेबी और आयकर विभाग टैक्स चोरी के करीब 32,000 मामलों की जांच करने में जुट गये हैं. इन मामलों में टैक्स चोरी साबित हो जाने पर कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है. बताया जा रहा है कि सेबी और आयकर विभाग शेयर बाजार के दीर्घावधि पूंजीगत लाभ और लघु अवधि पूंजीगत लाभ के जरिये टैक्स चोरी करने वालों पर नजर बनाये हुए हैं. दीर्घावधि पूंजीगत लाभ और लघु अवधि पूंजीगत लाभ के नियमों का दुरुपयोग कर शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव करने के खेल पर भी सेबी और आयकर विभाग की बनी हुई है.
हिंदी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, शेयर बाजार की निगरानी करने वाला सेबी 14 जनवरी की बोर्ड बैठक में दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के दुरुपयोग और शेयरों की कीमत चढ़ाने-गिराने पर चर्चा करेगा. 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अवैध घोषित किये जाने के बाद सेबी के बोर्ड की यह पहली बैठक होगी, जिसमें इस प्रकार की धोखाधड़ी पर चर्चा की जायेगी.
कानून में किया जा सकता है संशोधन
सूत्रों का कहना है कि आगामी 14 जनवरी को होने वाली बैठक में सेबी बोर्ड को शेयर बाजार की इस धोखाधड़ी से जुड़े मामलों पर की गयी कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दी जायेगी. दीर्घावधि पूंजीगत लाभ और लघु अवधि पूंजीगत लाभ के जरिये टैक्स चोरी के मामले में 32,000 एंटिटी पर सेबी और आयकर विभाग की नजर बनी है. बताया यह भी जा रहा है कि बाजार विनियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर की कीमतों में खेल करने वाली कंपनियों, उनके आजीवन निदेशकों और ऐसे कारोबार में शामिल दूसरे लोगों के खिलाफ सेबी कानून के सेक्शन 11बी को लागू करने का फैसला किया है. इसके तहत सेबी के पास शेयर बाजार के हित में किसी एंटिटी या शख्स के खिलाफ आदेश देने का अधिकार है. इस धारा के तहत मार्केट रेग्युलेटर शेयरों में खरीद-फरोख्त से हुए फायदे को जब्त कर सकता है और वह ऐसे लोगों या एंटिटी के मार्केट में आने पर रोक लगा सकता है.
कैसे किया जाता है लघु और दीर्घावधि पूंजीगत लाभ नियमों का दुरुपयोग
लघु और दीर्घावधि पूंजीगत लाभ नियमों का दुरुपयोग करने वाले किसी ऐसे ऑपरेटर के संपर्क में रहते हैं, जिसका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी सूचीबद्ध कंपनी पर नियंत्रण होता है. आम तौर पर इसे पेनी स्टॉक भी कहा जाता है. सूचीबद्ध कंपनी अपने संपर्क में रहने वाले को तरजीही आधार पर शेयरों को आवंटित करती है. इन शेयरों का लॉक इन पीरियड एक साल का होता है. दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर टैक्स छूट के लिए भी इतनी ही समयसीमा निर्धारित की गयी है. आयकर विभाग ने जांच के दौरान यह पाया है कि सूचीबद्ध कंपनियों की आधार पूंजी में शेयर विभाजन और बोनस शेयरों की वजह से कई गुणा वृद्धि हुई है. इन शेयरों से लाभ लेने वाले कथित तौर पर ऑपरेटर को नकदी भुगतान करते हैं, जिसका वे कई स्तर पर इस्तेमाल कर शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव करने का खेल खेलते हैं.
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