नयी दिल्ली : वित्त वर्ष 2015-16 की तीसरी तिमाही से बढ़ती गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की मार झेल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार आगामी वित्त वर्ष 2017-18 में भी और 25,000 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध करा सकती है. सूत्र बताते हैं कि पिछले हफ्ते ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए वित्त मंत्रालय की ओर से एक बैठक की गयी थी, जिसमें सरकारी बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने के मामले में शुरुआती फैसला किया गया है. कहा यह भी जा रहा है कि पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के नोटों का प्रचलन बाजार में बंद कर दिये जाने का असर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋणवसूली पर भी पड़ रहा है. इस लिहाज से बैंकों ने वित्त मंत्रालय के पास नोटबंदी से ऋण वसूली पर पड़ने वाले असर के कारण पूंजी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया था. सूत्र यह भी बताते हैं कि सरकार बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ओर से प्रतिक्रिया मिलने के बाद अंतिम रूप देगी.
अंग्रेजी की खबरिया वेबसाइट मनी कंट्रोल पर सूत्रों के हवाले से प्रकाशित समाचार में यह कहा गया है कि सरकार बजट के पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 25,000 करोड़ रुपये के पूंजीकरण उपलब्ध कराने की घोषणा कर सकती है, जिसे इस साल के बजट में बैंकों की अतिरिक्त आवश्यकता के अनुरूप में अनुपूरक मांग के रूप में पेश किया जायेगा. डिफॉल्टरों द्वारा कर्ज चूकता नहीं होने के कारण देश के सरकारी बैंकों ने बढ़ते एनपीए के मद्देनजर पहले ही वित्त मंत्रालय से पूंजी उपलब्ध कराने की मांग कर दिया है.
वित्त वर्ष 2016-17 में सरकारी बैंकों को दिये जा चुके हैं 25,000 करोड़ रुपये
वहीं, कहा यह भी जा रहा है कि नोटबंदी के दौरान उनकी ऋणवसूली और कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ा है. हालांकि, सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान बैंकों को पूंजीगत सहायता उपलब्ध कराने के लिए 25,000 करोड़ रुपये दिये जाने की घोषणा के अनुरूप देश के करीब 13 सरकारी बैंकों को 22,915 करोड़ रुपये की राशि का भु्गतान कर दिया है. सरकार ने 2016 के बजट में घोषित 25,000 करोड़ रुपये में से करीब 75 राशि का भुगतान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कर दिया है.
सीएजीआर का आकलन करने के बाद सरकार ने लिया था फैसला
इसके साथ ही, बैंकों से यह भी कहा गया था कि वे सरकार की ओर से मिली राशि के पहले किश्त का उपयोग अपने ऋण पुनर्गठन में करेंगे. साथ ही, वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार से भी पूंजी जुटाने का काम करेंगे. सरकार की ओर से बैंकों को पूंजीकरण करने का काम पिछले पांच साल के दौरान उनकी क्रेडिट ग्रोथ और चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) का आकलन करने के बाद ही किया गया था. पिछले साल बजट के दौररान सरकार ने इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चार साल के दौरान करीब 70,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की थी.
नोटबंदी के प्रभाव से बैंकों ने सरकार से फिर मांगा 25,000 करोड़
इसके साथ ही, इस इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत बैंकों को वैश्विक जोखिम बेसेल-थ्री के तहत बाजार से करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने का निर्देश दिया गया था. इसी आधार पर सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पुनर्पूंजीकरण के लिए वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान क्रमश: 25,000-25,000 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान 10,000-10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन नोटबंदी के बाद उपजे हालात के कारण बैंकों ने सरकार से वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 10,000 करोड़ के स्थान पर 25,000 करोड़ रुपये के पूंजीकरण की मांग की है.
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