नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार को बुधवार को संसदीय समिति के सामने नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव और नकदी की कमी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक द्वारा उठाये गये कदमों का ब्योरा पेश करेंगे. केंद्र सरकार की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में गठित स्थायी समिति के सदस्यों के सामने रिजर्व बैंक गवर्नर को नोटबंदी के बाद केंद्रीय बैंक की ओर से उठाये गये कदमों पर ब्योरा पेश करना होगा. इस समिति में आर्थिक मामले विभाग, राजस्व और वित्तीय सेवा विभाग के अलावा वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सदस्य बनाया गया है.
इसके अलावा, बुधवार को संसद की स्थायी समिति की होने वाली बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों के भी इस बैठक मौजूद रहने की संभावना है. इस बैठक में मुख्य रूप से नोटबंदी के 500 और 1000 के पुराने बड़े नोटों के बंद होने के बाद पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा होने की उम्मीद है. इसके अतिरिक्त बताया यह भी जा रहा है कि नोटबंदी के ही मामले पर रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल 20 जनवरी यानी शुक्रवार को संसद की लोक लेखा समिति के सामने भी पेश होंगे.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने बड़े नोटों का चलन बंद करने की घोषणा करने के बाद से देश के लोगों को नकदी संकट का सामना करना पड़ा. आलम यह कि नोटबंदी के करीब तीन महीने बाद भी अब तक लोगों को कमोवेश नकदी की किल्लतों का सामना करना पड़ रहा है. नोटबंदी के कारण लघु उद्योग से लेकर बड़े उद्योग और थोक बाजार से खुदरा बाजार के अलावा आम जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
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