नयीदिल्ली : भारत की आर्थिक वृद्धि अगली दो तिमाहियों में कुछ धीमी पड़ सकती है लेकिन 2017 की दूसरी छमाही में इसमें तीव्र उछाल आने की उम्मीद है. नोमुरा की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त करतेहुए कहा गया है कि नोटबंदी का असर कुछ समय केलिए ही होगा और यह लंबा नहीं खिंचेगा. जापान की इस वित्तीय सेवा एजेंसी ने जनवरी-मार्च 2017 तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.
इसके बाद अप्रैल से जून की अवधि के दौरान जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. वर्ष 2016-17 के दौरान नोमुरा को जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है. इससे पिछले साल 2015-16 में आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत रही थी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. वर्ष 2017-18 में नोमुरा को 7.4 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. वित्तीय सेवा एजेंसी ने अपने शोध नोट में कहा है, ‘‘हमें अगली दो तिमाहियों में हालांकि तीव्र सुस्ती की आशंका है लेकिन हम 2017 की दूसरी छमाही में तीव्र उछाल की भी उम्मीद कर रहे हैं.’
नोमुरा के अनुसार, दबी मांग सामने आने, नोटबंदी के बाद संपत्ति का कम नुकसान होने और सरकार को इससेहुए वित्तीय लाभ जो कि 2017-18 में प्राप्त होगा कुल मिलाकर अगले वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में तीव्र उछाल केलिए जिम्मेदार होंगे. शोध पत्र में कहा गया है कि नोटबंदी का ज्यादातर प्रभाव अस्थायी ही होगा जबकि कुछ अन्य में समय लग सकता है. अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना, भ्रष्टाचार को कम करना और सरकारी राजस्व वृद्धि तथा ऊंची बचत जैसे मामलों में समय लग सकता है. इसमें कहा गया है कि, ‘‘समय के साथ हमें लगता है कि इन फायदों से अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक गतिरोधों से पार पा लिया जायेगा.’ इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष :आइएमएफ: ने भारत की जीडीपी वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को एक प्रतिशत घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.