नयी दिल्ली : उद्योग जगत का कहना है कि आगामी बजट में सरकार को कंपनी कर की दर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर देनी चाहिये. अधिभार और उपकर सहित कंपनी कर की दर 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिये. इसके साथ ही उद्योगों ने आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिये आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली कर छूट को मौजूदा दो लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये करने की भी मांग की है.
पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्टरी (पीएचडीसीसीआई) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को आगामी बजट पर सौंपे ज्ञापन में ये मांगें रखीं हैं. इसमें कहा गया है कि कंपनियों पर कर की दर अधिभार और उपकर सहित 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिये.
आवास ऋण पर ब्याज कटौती सीमा में डेढ लाख रुपये की वृद्धि होनी चाहिये और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिये जाने वाले कर्ज को बजट में एक विशेष प्रावधान के जरिये प्राथमिक क्षेत्र के दायरे में लाया जाना चाहिये.
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष गोपाल जीवराजका ने नकदी रहित लेनदेन को बढावा देने के सरकार के प्रोत्साहनों की सराहना करते हुये कहा कि आरटीजीएस और एनईएफटी जैसे माध्यमों से लेनदेन को शुल्क मुक्त किया जाना चाहिये. उन्होंने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत सबसे ऊंची दर को 20 प्रतिशत रखे जाने का भी सुझाव दिया है.
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी के तहत नयी व्यवस्था में कर की सबसे ऊंची दर 28 प्रतिशत रखी है. अन्य दरें पांच, 12 और 18 प्रतिशत हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पिछले बजट में कंपनियों के लिये कारपोरेट कर की दर को अगले कुछ साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने तथा कंपनियों को मिलने वाली विभिन्न कर छूट और प्रोत्साहनों को युक्तिसंगत बनाने अथवा समाप्त करने का प्रस्ताव किया था. उन्होंने पिछले बजट में इस दिशा में शुरुआत भी की है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.