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सस्ते होते हैं कॉलर ट्यून पर बिकते हैं महंगे दाम पर

नयी दिल्ली : कॉलर ट्यून से आपके मोबाइल पर कॉल करने वाले को बोरियत भरे ट्रिंन ट्रिंन से राहत मिलती है. लोग अपने पंसद के गानों को अपने मोबाइल का कॉलर ट्यून बनाते हैं. साथ ही जिसको आप कॉल कर रहे हैं वो किस मूड में है उसके बारे में भी अंदाज़ा हो जाता है. […]

नयी दिल्ली : कॉलर ट्यून से आपके मोबाइल पर कॉल करने वाले को बोरियत भरे ट्रिंन ट्रिंन से राहत मिलती है. लोग अपने पंसद के गानों को अपने मोबाइल का कॉलर ट्यून बनाते हैं. साथ ही जिसको आप कॉल कर रहे हैं वो किस मूड में है उसके बारे में भी अंदाज़ा हो जाता है. कॉलर ट्यून के लिए ग्राहक महिने का 30-35 रुपय प्रति कॉलर ट्यून तक देते हैं, पर क्या आपको पता है कि टलीकॉम कंपनियां ये ट्यून काफी सस्ते में बनाती है.

उद्योग जगत के जानकारों के अनुसार फिलहाल कॉलर ट्यून और रिंगटोन्स टेलिकॉम जगत में करीब ढाई सौ करोड़ रुपए का उद्योग है. हालांकि इन्हें बनाने में बेहद कम खर्च आता है.

मोबाइल ऑडियो विभाग की देखरेख कर रहे आदित्य श्रीवास्तव बताते हैं, “अगर कॉपीराइट से मुक्त गाने पर रिंगटोन बनाया जाए तो उस पर कोई खास खर्च नहीं आता, लेकिन अगर विशेष तौर पर संदेश युक्त ऑडियो मैसेज कॉलर ट्यून के लिए तैयार किया जाए तो उसका खर्च लाख-दो लाख तक जा सकता है, निर्भर करता है कि आवाज़ किसकी है.”

उनका कहना है कि कॉलर रिंग बैक टोन यानी सीआरबीटी के स्वरूप में आने वाले भविष्य में काफ़ी बदलाव भी हो सकते हैं. उन्होंने कहा, “अभी तक कॉलर ट्यून्स ने लोगों का मनोरंजन किया है, लेकिन अब वो न सिर्फ मनोरंजन और शिक्षित करेगा बल्कि, कॉल पाने वाले के लोकेशन, व्यस्तता संबंधी जानकारियां भी देगा.”

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