नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद नोटों का चलन बढ़ने लगा है और मार्च तक मुद्रा-जीडीपी अनुपात नौ फीसदी के करीब पहुंच जायेगा. यह आर्थिक गतिविधियों को स्थिरता प्रदान करने के लिए पर्याप्त है. जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी से पहले चार नवंबर, 2016 को मुद्रा-जीडीपी अनुपात 11.8 फीसदी था, जो छह जनवरी को न्यूनतम 5.9 फीसदी पर पहुंच गया. उसके बाद से लगातार दो सप्ताह इसमें वृद्धि हुई और 20 जनवरी को यह 6.5 फीसदी हो गया.
नोमुरा के अनुसार, यह बताता है कि नये नोटों को चलन में आने के मामले में प्रगति जारी है. प्रतिबंधित पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने का काम अब बंद हो गया है. इसके लिए 30 दिसंबर तक की समयसीमा समाप्त हो चुकी है. वहीं, रिजर्व बैंक नये नोटों को चलन में लाने के लिए उसकी छपाई के काम में लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा प्रगति को देखते हुए मुद्रा-जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात मार्च अंत तक करीब नौ फीसदी हो जायेगा.
नोमुरा ने कहा कि हमारे विचार से मुद्रा-जीडीपी का यह अनुपात आर्थिक गतिविधियों को स्थिरता प्रदान करने के लिए पर्याप्त होगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव अस्थायी रहने की संभावना है, क्योंकि नये नोटों के चलन में आने के बाद मांग के फिर से पटरी पर आने की उम्मीद है. इससे अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.