बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक बढ़ा सकता है मियाद
नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक देश के बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) की समय सीमा को कुछ माह के लिए और आगे खिसका सकता है. नोटबंदी के बाद वित्तीय क्षेत्र में व्याप्त मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा किया जा सकता है. बैंकरों का मानना है कि बैंकों के खातों को साफ-सुथरा बनाने […]
नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक देश के बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) की समय सीमा को कुछ माह के लिए और आगे खिसका सकता है. नोटबंदी के बाद वित्तीय क्षेत्र में व्याप्त मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा किया जा सकता है. बैंकरों का मानना है कि बैंकों के खातों को साफ-सुथरा बनाने का काम ठीक ढंग से होना जरूरी है.
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा कि बैंकों को संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के लिए कुछ माह का समय और चाहिण्, क्योंकि उनके ज्यादातर कर्मचारी पिछले दो महीने से नोटबंदी के काम में लगे हुए हैं. रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही एक करोड़ रुपये तक के कर्ज पर किस्त वापसी नहीं होने की स्थिति में उसे गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) घोषित करने की समय सीमा को 90 दिन बढ़ा दिया है. यह रियायत एक नवंबर से 31 दिसंबर के बीच किये जाने वाले कर्ज भुगतान पर लागू होगी.
अधिकारियों का कहना है कि यह नियम भी एक्यूआर के रास्ते में आ रहा है. रिजर्व बैंक ने एक्यूआर के लिए मार्च, 2017 की समयसीमा तय की है. सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों को चलन से हटा दिया था. ये नोट उस समय चलन में प्रचलित कुल नोटों का 86 प्रतिशत थे. रिजर्व बैंक दिसंबर, 2015 से इस काम में लगा है. उसने बैंकों को बडे एनपीए वाले खातों की पहचान करने और उसके लिए किये जा रहे प्रावधान के बारे में जानकारी मांगी है. इसका बैंकों के शेयरों पर भी असर पड़ा है.
रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों के फंसे कर्ज में अकेली दिसंबर तिमाही में ही एक लाख करोड़ रुपये की पहचान की गयी है. केनरा बैंक, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और आईडीएफसी बैंक ने दिसंबर, 2016 को समाप्त तिमाही में एनपीए बढ़ने की रिपोर्ट दी है. सितंबर 2016 को समाप्त तिमाही के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सकल गैर-निष्पादित राशि में 80,000 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी है.
सितंबर अंत में उनका कुल एनपीए बढ़कर 6,30,323 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून 2016 की समाप्ति पर बैंकों के ऐसे एनपीए खाते जिनमें 50 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, उनकी संख्या 2,071 तक थी और इनमें कुल 3,88,919 करोड रपये का बकाया था.
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