नोटबंदी से अगले दो साल तक 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होगी आर्थिक वृद्धि : चिदंबरम
हैदराबाद : नोटबंदी को बिना सोच-विचार के लिया गया फैसला बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इससे हुए नुकसान के चलते अगले दो वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6 से 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होगी. चिदंबरम ने दावा किया कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी […]
हैदराबाद : नोटबंदी को बिना सोच-विचार के लिया गया फैसला बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इससे हुए नुकसान के चलते अगले दो वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6 से 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होगी. चिदंबरम ने दावा किया कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी के विचार को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि कि एनडीए सरकार ने यह निर्णय लेने से पहले इस मामले में जरूर किसी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक से विचार-विमर्श किया होगा.
नोटबंदी ने 50 फीसदी बैंक कर्मचारियों को बना दिया बेईमान
तेलुगू दैनिक ‘माना तेलंगाना’ की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 80 फीसदी लघु और मध्यम उद्यम बंद हो चुके हैं. इसका अर्थव्यवस्था पर 1.5 लाख करोड़ रुपये का झटका लगेगा. उन्होंने कहा कि पहले यदि 10 फीसदी बैंक अधिकारी बेईमान थे, तो नोटबंदी के दौरान 50 फीसदी बैंक अधिकारी बेईमान हो गये. इस प्रकार नोटबंदी से भ्रष्टाचार बढ गया, कम नहीं हुआ. इस प्रकार, उन्होंने नकदीरहित अर्थव्यवस्था की कहानी को ही बदल दिया.
लोगों का मुद्रा से उठ गया है भरोसा
चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि मेरी बात को गांठ बांध लीजिये, वर्ष 2017-18 और 2018-19 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6 और 6.5 फीसदी से अधिक नहीं होगी. अर्थव्यवस्था में सुधार आने में दो साल लग जायेंगे. लोगों का मुद्रा से विश्वास उठ गया है, वह खर्च नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपने बिना वजह इस बिना सोचे-विचारे नोटबंदी के फैसले से देश की आर्थिक वृद्धि की कहानी को बाधित कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार का बड़ी राशि के पुराने नोटों पर पाबंदी के बाद नये नोटों को चलन में लाने का कदम ‘नोटबंदी’ नहीं बल्कि ‘नोटबदली’ है.
संघ के प्रचारकों की सलाह पर की नोटबंदी
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि यह निर्णय बिना उन लोगों से संपर्क किये लिया गया, जिससे किया जाना चाहिए था. वित्त सचिव, बैंकिंग मामलों के सचिव तथा मुख्य आर्थिक सलाहकार से सलाह नहीं ली गयी. तब आखिर किससे सलाह ली गयी? उन्होंने निश्चित तौर पर कुछ आरएसएस प्रचारक से सलाह ली होगी. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के कई गवर्नरों ने 27 साल तक नोटबंदी का विरोध किया और उनमें से किसी ने भी नोटबंदी को बढ़िया उपाय नहीं माना था.
रघुराम राजन ने भी नोटबंदी से पीछे खींचा था हाथ
चिदंबरम ने कहा कि रघुराम राजन तीन साल गवर्नर रहे. उन्होंने नोटबंदी को सही नहीं माना और स्पष्ट ष्प से सरकार को नोटबंदी के लिए मना किया. उसके बाद नये गवर्नर उर्जित पटेल आये और 64 दिनों में वह नोटबंदी पर सहमत हो गये. चिदंबरम ने कहा 500, 1,000 रुपये के 2,400 करोड़ नोट जिनका मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये था, उन्हें अमान्य कर दिया गया. देश में नोट छापने वाली सभी चार छपाई मशीनों की क्षमता को मिलाकर महीने में 300 करोड़ नोटों की छपाई हो सकेगी. सभी 2,400 करोड़ नोटों के बदले नये नोट जारी करने में आठ महीने का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के तीन माह बाद भी आधे एटीएम काम नहीं कर रहे हैं, ज्यादातर एटीएम में पैसा नहीं है.
रोजाना 11 करोड़ लोगों की बैंकों के सामने लग रही कतार
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि रोजाना 11 करोड़ लोग अपने खुद के धन को निकालने के लिए घंटों पंक्ति में खड़े हो रहे हैं. सरकार के 100 फीसदी नकदीरहित अर्थव्यवस्था के लक्ष्य पर उन्होंने कहा कि अभी भी जर्मनी और आस्ट्रिया में 80 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 60 फीसदी, कनाडा में 56 फीसदी और अमेरिका में 46 फीसदी लेन-देन नकद में होता है. चिदंबरम ने कहा कि उनके वित्त मंत्री रहते यदि उस समय के प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के लिए जोर दिया होता, तो वह वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे देते. उन्होंने कहा कि सरकार पहले नोटबंदी की बात कर रही थी, अब वह नये नोट की बात कर रही है. अब आप पुराने के बदले नये नोट ला रहे हो, यह नोटबंदी नहीं नोटबदली है.
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