नयी दिल्ली : नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में 0.25 से 0.50 प्रतिशत का नुकसान होगा. हालांकि, दीर्घावधि में इससे अर्थव्यवस्था को कई लाभ मिलेंगे. मसलन ब्याज दरों में कमी आयेगी, भ्रष्टाचार खत्म होगा और औपचारिक क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ेंगी. आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 का नोट बंद किए जाने के बाद पैदा हुए नकदी संकट का जीडीपी पर उल्लेखनीय प्रभाव होगा.
सात प्रतिशत को आधार मानकर इसमें 0.25 से 0.50 प्रतिशत की गिरावट आएगी. समीक्षा में हालांकि अनुमान लगाया गया है कि 2017-18 में वृद्धि दर बढकर 6.75 से 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जो केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के इसी महीने जारी 7.1 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
इसमें उम्मीद जताई है कि प्रणाली में नकदी पुन: पहुंचने के बाद अप्रैल, 2017 से नकदी संकट समाप्त हो जाएगा. साथ ही इसमें कहा गया है कि नोटबंदी का जीडीपी की वृद्धि दर पर प्रतिकूल असर अस्थायी होगा। दस्तावेज में कहा गया है कि एक बार नकदी आपूर्ति पूरी होने के बाद अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में आ जाएगी. यह काम मार्च अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.
नोटबंदी के रीयल एस्टेट पर प्रभाव के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि आठ प्रमुख शहरों में 8 नवंबर, 2016 के बाद से संपत्ति कीमतों में गिरावट का रुख है. समीक्षा कहती है, ‘‘एक सुधरी हुई कराधान प्रणाली से आय घोषणा बढेगी तथा कुछ अधिक उत्साही कर प्रशासन की आशंकाओं को दूर किया जा सकेगा.”