नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने आज लोकसभा में वर्ष 2017-18 के लिए आर्थिक सर्वे पेश किया. इस सर्वे के अनुसार सरकार आर्थिक कार्यक्रमों में कई बड़े बदलाव करने के मूड में है. इन्हीं बदलावों में से एक है सब्सिडी की जगह यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लागू करना. इस स्कीम के तहत देश के हर नागरिक के लिए हर महीने एक निर्धारित आमदनी सुनिश्चित की जायेगी. इसके लिए सरकार व्यवस्था करती है और बिना शर्त नागरिकों को एक निश्चित आमदनी मुहैया कराती है.
कहां से आयी ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ की अवधारण
‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ की अवधारणा के समर्थकों में फिलिप वैन, एलिशा मैके, आंद्रे गॉर्ज, पीटर वैलेंटाइन और गाय स्टैंडिंग का नाम आता है. यह अवधारणा नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है.
मध्यप्रदेश में हुआ प्रयोग
मध्य प्रदेश की एक पंचायत में इस अवधारणा को लागू किया गया था जिसके बेहद सकारात्मक नतीजे आये थे. इंदौर के आठ गांवों में भी इस स्कीम को लागू किया किया और इसका काफी लाभ मिला. वहां महिला-पुरुष को पांच सौ और बच्चे को 150 रुपया प्रतिमाह दिया जा रहा था.
स्कीम को लागू करने में जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ स्कीम को लागू करने पर जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा, जबकि अभी कुल जीडीपी का 4 से 5 फीसदी सरकार सब्सिडी देने में खर्च कर रही है.
सब्सिडी हटा सकती है सरकार
सरकारी खजाने पर बोझ न पड़े इसके लिए सरकार सब्सिडी को धीरे-धीरे हटा सकती है. इस स्कीम से गरीबी हटाने में मदद मिलेगी और देश के 20 करोड़ लोगों को इसका फायदा मिलेगा.
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