नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को यहां बैठक शुरू हो गयी है. समिति की यह तीसरी समीक्षा बैठक है और यह भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के बीच हो रही है. कुछ विशेषज्ञों की राय है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुआई वाली यह समिति आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए ब्याज दर में कटौती की सिफारिश कर सकती है. वहीं, एक राय यह भी है कि कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति के दबाव के खतरे को देखते हुर इस बार नीतिगत पद पर रिजर्व बैंक यथास्थिति बनाये रखेगा.
देश में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के बाद बैंकों के पास जमा राशि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस कारण पिछले महीने बैंकों के ब्याज दर में एक फीसदी तक की कटौती हो चुकी है. हालांकि, बैंक और उद्योग प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में कटौती की वकालत कर रहे हैं. ऐसे में, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति कच्चे तेल के दाम में वृद्धि तथा डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद संरक्षणवादी रुख के जोर पकड़ने को देखते हुए आठ फरवरी को सतर्क रुख अपना सकती है. कच्चे तेल (ब्रेंट) का भाव बढकर 56.8 डालर प्रति बैरल पहुंच गया है.
पीएनबी की प्रबंध निदेशक उषा अनंतसुब्रमणियम के अनुसार, ब्याज दर में हर तरफ से 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद की जा रही है. उन्होंने कहा कि अधिकतर बैंक पहले ही ब्याज दर में कटौती कर चुके हैं और अगर जरूरत पड़ी, तो आगे और कटौती की जायेगी. वहीं, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कार्यकारी निदेशक आरके गुप्ता ने कहा कि हम मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा जैसे वृहत आर्थिक आंकड़ों के अनुकूल होने को देखते हुए रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. वृद्धि उन्मुख बजट को देखते हुए ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि रिजर्व बैंक उसी भावना से काम करेगा. यूको बैंक के प्रबंबध निदेशक और सीईओ आरके टक्कर ने भी कहा कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी को देखते हुए रेपो दर में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद की जा रही है.
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