नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज बैंकों से अपील की कि उन्हें पिछड़ रहे क्षेत्राेंमेंकर्ज की मांग को प्रोत्साहित करने के लिए कर्जों पर ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. उन्हाेंने कहा कि बैंकों को कम लागत की जमा राशियों की बाढ़ और आरबीआइ की ओर से पहले की गयी नीतिगत ब्याज दर में कटौतियों का फायदा हुआ है. पटेल ने कहा, ‘‘हमने रेपो दरमें जो कटौती की है और साथ ही बैंकाें के पास जो नकदी जमा की बाढआयी है जो कि कासा जमा (करेंट अकाउंट और बचत खाते की जमा) हैं उसका उन्हें फायदा हुआ है. इसके मद्देनजर बैंकाें को ब्याज दरोंमें कटौती करनी चाहिए.’ उन्होंने इन बैंकों के कर्ज की दर में कटौती की गुंजाइश पर जोर देते हुए कहा कि कर्ज पर ब्याज दर में औसत कटौती काफी कम रही है. ऐसे में हमें लगता है कि ब्याज दरों में और कटौती की कुछ गुंजाइश है. यदि आप आवास, व्यक्तिगत जैसे क्षेत्र देखें, तो अन्य क्षेत्राें के लिए उन्हीं बैंकों द्वारा ब्याज में अपेक्षाकृत अधिक कटौती कीगयी है.
गवर्नर ने उम्मीद जताई कि कुछ ऐसे क्षेत्राें में ब्याज दराेंमें और कटौती की जाएगी जहां अभी तक कटौती काफी कम रही है. इसी सप्ताह रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षामें रेपो दर को 6.25 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर को 5.75 प्रतिशत पर कायम रखा है. जनवरी, 2015 से सितंबर, 2016 तककेंद्रीय बैंक ने रेपो दराेंमें 1.75 प्रतिशत तक की कटौती की है. मुद्रास्फीति पर पटेल ने कहा कि जहां तक खुदरा मुद्रास्फीति को लेकर लक्ष्य का सवाल है, हमारेरुख में कोई बदलाव नहीं आया है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 2021 तक खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य चार प्रतिशत :(दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर कायम रखा है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.