नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कानून के मसौदे में मुनाफा-रोधी एक प्रावधान शामिल किये जाने के मुद्दे पर इस सप्ताहांत होने वाली जीएसटी परिषद की 10वीं बैठक में अंतिम निर्णय लिये जाने की उम्मीद है. इस प्रावधान में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि जीएसटी व्यवस्था में कर में कमी का लाभ उपभोक्ताओं तक भी पहुंचना चाहिये.
वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व वाली इस परिषद की बैठक में ‘कृषि’ और ‘कृषक’ की परिभाषा को भी अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है. इस बैठक में विवादों के निपटारे के लिये एक ‘राष्ट्रीय वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण’ के गठन पर भी निर्णय लिया जायेगा.
कानून मंत्रालय से मिल चुकी है मंजूरी
अधिकारियों ने कहा कि कानून मंत्रालय ने जीएसटी कानून का आदर्श मसौदा पढ़ कर लौटा दिया है. इस मसौदे में बताया गया है कि नया राष्ट्रीय बिक्री कर कानून किस प्रकार से वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जायेगा. कानून मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त कानूनी भाषा और मसौदे पर पहले जीएसटी परिषद की उप समिति में चर्चा होगी.
उप-समिति में केंद्र और राज्यों के अधिकारी शामिल हैं. उप-समिति इस पर शुक्रवार को चर्चा करेगी. जीएसटी परिषद की 10वीं बैठक 18 फरवरी को उदयपुर में होने जा रही है. अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यदि जीएसटी के संशोधित मसौदे को शनिवार की बैठक में मंजूरी मिल जाती है तो फिर सरकार संबंधित विधेयक को चालू बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद में पेश करने का प्रयास करेगी.
जीएसटी 1 जुलाई से लागू करना चाहती है सरकार
सरकार जीएसटी को एक जुलाई से अमल में लाना चाहती है लेकिन इसके लिये उसे दो विधेयक संसद में पारित करने होंगे. एक विधेयक केंद्रीय जीएसटी होगा और दूसरा अंतरराज्यीय कारोबार के लिये एकीकृत जीएसटी पारित कराना होगा। सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी राज्य जीएसटी पारित कराना होगा.
परिषद की सप्ताहांत बैठक में आदर्श जीएसटी विधेयक के मसौदे पर चर्चा होगी जो कि केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी का साझा मसौदा होगा। इसके अलावा एक एकीकृत जीएसटी विधेयक होगा और दूसरा राज्यों को राजस्व क्षतिपूर्ति के लिये मुआवजा कानून भी पारित कराया जायेगा.
ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए जोड़ा मुनाफा रोधी प्रावधान
अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस बात को लेकर काफी संजीदा है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत कम कर बोझ का लाभ उपभोक्ता को भी मिलना चाहिये. इसलिये कानून के मसौदे में एक मुनाफा-रोधी प्रावधान भी जोड़ा गया है. इस प्रावधान के तहत एक ऐसा प्राधिकरण बनाया जायेगा जो कि जीएसटी व्यवस्था में उत्पादों पर मिलने वाले कर क्रेडिट पर गौर करेगा और देखेगा कि इसका संबंधित उत्पाद अथवा सेवाओं के मूल्य में भी उसी के अनुरुप कमी आई है अथवा नहीं.
एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुये कहा माना किसी वस्तु अथवा सेवा पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है, लेकिन इसकी आपूर्ति होते होते इसपर 20 प्रतिशत कर चुकाया जा चुका है, जिसके लिये इनपुट क्रेडिट लिया गया. इसलिये अंतिम उपभोक्ता से इसपर केवल पांच प्रतिशत ही कर लिया जाना चाहिये न कि 25 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाना चाहिये, क्योंकि 20 प्रतिशत इनपुट क्रेडिट इस पर लिया जा चुका होगा.
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