घरेलू आइटी कंपनियां डोनाल्ड ट्रंप के रुख को बिन मांगे वरदान के रूप में स्वीकार करें : मुकेश अंबानी
मुंबई : उद्योगपति व रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने आज यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा किअमेरिकाके नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप घरेलू आइटी उद्योग के लिए बिन मांगे वरदान साबित हो सकते हैं. नासकाम इंडिया लीडरशिप फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक व्यापार के लिए खुला रहना होगा और […]
मुंबई : उद्योगपति व रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने आज यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा किअमेरिकाके नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप घरेलू आइटी उद्योग के लिए बिन मांगे वरदान साबित हो सकते हैं. नासकाम इंडिया लीडरशिप फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक व्यापार के लिए खुला रहना होगा और उस दुनिया में बदलावों से प्रभावित नहीं होना चाहिए जहां दीवारेंखड़ी की जा रही हैं.
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी बयानों से जहां पूरी दुनिया चिंतित है. वहीं भारत के प्रमुख उद्योग घराने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने आज स्थानीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को सलाह दी कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति केरुख को एक बिन मांगेवरदान केरूप में स्वीकार करे और भारतीय बाजार पर ध्यान दे.
अमेरिका में विदेशी पेशेवरों को अल्पकालिक नौकरी के लिए वीजा के नियम सख्त करने और ‘पहले अमेरिका’ जैसी ट्रंप की बातों से भारत में खास कर सालाना 155 अरब डाॅलर का करोबार कर रहे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को चिंता में डाल रखा है जिसकी आय का 65 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है.
अंबानी ने यहां आज शुरू हुए नासकाम के नेतृत्व मंच सम्मेलन में कहा, ‘ट्रंप वास्तव में बिनमांगी मुराद पूरी करने जैसा साबित हो सकते हैं. घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अपने यहां की समस्याओं के समाधान तैयार करने पर ध्यान दे सकता है जो कि खुद बहुतबड़ा बाजार है.’ यह सम्मेलन तीन दिन चलेगा.
संयोग से उनका यह बयान ऐसे समय आया है जकि भारतीय साफ्टवेयर एवं साफ्टवेयर सेवा प्रदाता कंपनियों के मंच नासकाम ने अपने वार्षिक वृद्धि के अनुमानों की घोषणा को आज मई 2017 के लिए टाल दिया क्योंकि यह उद्योग ट्रंप की नीतियों के बारे में स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करना चाहता है. ट्रंप ने गत 20 जनवरी को अपना कार्यभार ग्रहण किया. मुकेश अंबानी के समूह ने भारत में अपने नए दूरसंचार उद्यम रिलायंस जियो पर 1200 अरब रुपये खर्च किए हैं.
अपने संबोधन के दौरान अंबानी ने अपने पिता के साथ अपना एक अनुभव भी सुनाया. उन्होंने कहा कि जब वे स्टेनफोर्ड यूनवर्सिटी से पढ़ कर लौटे तो अपने उद्योगपति पिता धीरुभाई अंबानी से पूछा कि मुझे क्या काम करना होगा. इस पर उन्होंने कहा कि अगर तुम अपने काम की बात करते हो तो तुम एक मैनेजर होगा, लेकिन अगर तुम एक एंटरप्रेन्योर हो तो तुम खुद अपना काम ढूंग लोगे. उन्होंने आप जो करना चाहते हैं उसे खुद तलाशें.
वहीं, टीसीएस के निवर्तमान प्रमुख एन चंद्रशेखरन का कहना है कि पेशेवरों के लिए अमेरिका में एच1-बी वीजा (अल्पकालिक नौकरियों के लिए वीजा) नियम को लेकर चिंताएंबढ़ा कर पेश की गयी हैं.
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