भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए बिन मांगा वरदान साबित हो सकते हैं ट्रंप : मुकेश अंबानी
मुंबई : अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी बयानों से जहां पूरी दुनिया चिंतित है, वहीं भारत के प्रमुख उद्योग घराने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने बुधवार को स्थानीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को सलाह दी कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख को एक बिन मांगे वरदान के रूप में स्वीकार करें […]
मुंबई : अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी बयानों से जहां पूरी दुनिया चिंतित है, वहीं भारत के प्रमुख उद्योग घराने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने बुधवार को स्थानीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को सलाह दी कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख को एक बिन मांगे वरदान के रूप में स्वीकार करें और भारतीय बाजार पर ध्यान दें.
अमेरिका में विदेशी पेशेवरों को अल्पकालि नौकरी के लिए वीजा के नियम सख्त करने और पहले अमेरिका जैसी ट्रंप की बातों से भारत में खासकर सालाना 155 अरब डॉलर का करोबार कर रहे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को चिंता में डाल रखा है, जिसकी आय का 65 फीसदी हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है.
अंबानी ने यहां बुधवार को शुरू हुए नैसकॉम के नेतृत्व मंच सम्मेलन में कहा कि ट्रंप वास्तव में बिन मांगी मुराद पूरी करने जैसा साबित हो सकते हैं. घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अपने यहां की समस्याओं के समाधान तैयार करने पर ध्यान दे सकता है, जो कि खुद बहुत बड़ा बाजार है. सम्मेलन तीन दिन चलेगा.
संयोग से उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब भारतीय सॉफ्टवेयर एवं सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता कंपनियों के मंच नैसकाम ने अपने वार्षिक वृद्धि के अनुमानों की घोषणा को बुधवार को मई, 2017 के लिए टाल दिया, क्योंकि यह उद्योग ट्रंप की नीतियों के बारे में स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करना चाहता है. ट्रंप ने गत 20 जनवरी को अपना कार्यभार ग्रहण किया. मुकेश अंबानी के समूह ने भारत में अपने नए दूरसंचार उद्यम रिलायंस जियो पर 1200 अरब रुपये खर्च किये हैं.
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