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आयकर विभाग के रडार पर बैंक खातों में मोटी रकम डालने वाले, नहीं दिया सवालों का सही जवाब तो पड़ सकता है भारी

नयी दिल्ली : नोटबंदी के दौरान छुपाकर रखी गयी मोटी रकम या फिर आम आदमी ने भी अपनी खून-पसीने की कमाई को भी भुनाने के लिए अपने बैंक खाते में मोटी रकम डाली है, तो वह इस समय आयकर विभाग के रडार पर हैं. बैंक खातों में मोटी रकम डालने वालों ने अगर बैंकों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2017 9:39 AM

नयी दिल्ली : नोटबंदी के दौरान छुपाकर रखी गयी मोटी रकम या फिर आम आदमी ने भी अपनी खून-पसीने की कमाई को भी भुनाने के लिए अपने बैंक खाते में मोटी रकम डाली है, तो वह इस समय आयकर विभाग के रडार पर हैं. बैंक खातों में मोटी रकम डालने वालों ने अगर बैंकों में पैसा जमा करने के बाद आयकर विभाग की ओर से पूछे जाने वाले सवालों का सही जवाब नहीं दिया, तो यह उनके लिए भारी पड़ सकता है. बताया यह जा रहा है कि सवालों का सही जवाब नहीं देने वालों के घर किसी भी समय आयकर विभाग के अधिकारी पहुंच सकते हैं.

अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने इस अभियान को ऐसा रखने की कोशिश की है कि यह दखलंदाजी न लगे, लेकिन अगर लोग खुद आगे नहीं आते हैं, तो खासतौर पर बड़ी रकम जमा कराने के मामले में कुछ पूछताछ की जरूरत होगी. खबर में बताया गया है कि आयकर विभाग ने ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत ऐसे 18 लाख लोगों को एसएमएस और ई-मेल भेजे हैं, जिनके बैंक अकाउंट में 50 दिनों के विमुद्रीकरण खिड़की के दौरान पांच लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा करायी गयी थी और जिनके जमा और लेन-देन उनकी इनकम के हिसाब से मेल नहीं खाते. बिना पहचान के लोगों से विभाग के पोर्टल पर जमाओं के बारे में सफाई देने के लिए भी कहा गया है.

बताया जा रहा है कि करीब 7.3 लाख लोगों ने 15 फरवरी की बढ़ायी गश्र समय सीमा के दौरान ई-मेल के जरिये जवाब देते हुए जमा राशि पर अपनी सफाई दी है. जो लोग सफाई नहीं देंगे, उनके मामले में विभाग जांच-पड़ताल करेगा. उनसे आयकर विभाग के दफ्तर में आकर जमा करायी गयी राशि के बारे में सफाई देने के लिए कहा जा सकता है. दफ्तर नहीं आने पर आयकर अधिकारी खुद उनके घर पहुंच जायेंगे.

नोटबंदी के दौरान जिन लोगों ने मोटी रकम जमा करायी थी, लेकिन उसके बारे में उन्होंने कोई नहीं दी थी, उनके पास प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत 50 फीसदी कर देकर और 25 फीसदी रकम चार साल के लिए बिना ब्याज जमा कराने का मौका होगा. आयकर विभाग के अधिकारी ऐसे कुछ बड़े मामलों में नोटिस भेजने या सर्वे करने के बारे में भी सोच रहे हैं, जिनमें लोगों ने उस मोटी रकम जमा कराने के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दिया था, जो उनकी घोषित आय से ज्यादा थी.

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