-डॉ. कृष्ण राम-
आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक वार्षिक दस्तावेज है, जो वित्त मंत्री द्वारा संसद में केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है. इस वर्ष वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वर्ष 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण 31.01.2017 को संसद में पेश किया. आर्थिक सर्वेक्षण में पिछले वित्तीय वर्ष के समग्र आर्थिक परिदृश्य और अल्पावधि से मध्यम अवधि तक अर्थव्यवस्था की भावी संभावनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है. 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गयी हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 की शुरूआत भारत के बारे में 8 दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्यों के वर्णन से की गयी है. इसके अलावा वर्ष 2016 की 2 सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख इसमें किया गया है. इन दो घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण लंबे समय से प्रतीक्षित और ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का कार्यान्वयन है. दूसरी घटना रुपये 500 और रुपये 1000 के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण से संबंधित है. सर्वेक्षण में दोहराया गया है कि विमुद्रीकरण और जीएसटी से आर्थिक और सामाजिक लाभ होंगे. सर्वेक्षण में कहा गया है कि विमुद्रीकरण की लागत अल्पावधि संक्रमणकालीन है, लेकिन इसमें अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घावधि में व्यापक लाभ परिलक्षित होते हैं. इन लाभों में खपत में कमी, अर्थव्यवस्था का व्यापक डिजिटीकरण, बचत में बढ़ोतरी और भारतीय अर्थव्यवस्था का रूपांतरण शामिल है. इन सभी की अंतिम परिणति सकल घरेलू उत्पाद – जीडीपी में बढ़ोतरी, बेहतर कर अनुपालन और बेहतर कर राजस्व के रूप में होगी.
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