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कैशलेस अर्थव्यवस्था की खातिर कार्ड से लेन-देन पर सेवा शुल्क हो सकता है समाप्त

नयी दिल्ली : नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार कार्ड से लेन-देन करने पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर सकती है. इसके लिए कालेधन को लेकर न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी शाह की अगुआई में गठित एसआईटी ने सरकार को कुछ इसी प्रकार का सुझाव दिया है. सरकार यदि एसआईटी के इस सुझाव […]

नयी दिल्ली : नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार कार्ड से लेन-देन करने पर लगने वाले शुल्क को समाप्त कर सकती है. इसके लिए कालेधन को लेकर न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी शाह की अगुआई में गठित एसआईटी ने सरकार को कुछ इसी प्रकार का सुझाव दिया है. सरकार यदि एसआईटी के इस सुझाव को स्वीकार कर देती है, तो क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर लगने वाला भारी लेन-देन शुल्क पूरी तरह खत्म हो जायेगा. शाह पैनल ने नियमित तौर पर टैक्स अदा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए चिकित्सा बीमा, जीवन बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया है. इस संबंध में अहमदाबाद में बीते 11 मार्च को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया था.

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, ई-भुगतान पर लेवी खत्म करने का सुझाव इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बैंक और ई-गेटवे मुहैया कराने वाली कंपनियां रोजाना होने वाले करोड़ों लेन-देन पर बड़ी कमाई करते हैं. जनवरी में सिर्फ गुजरात में ही 2.95 करोड़ ई-भुगतान हुए, जिसमें क्रेडिट-डेबिट कार्ड और पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के जरिये कुल 5,838 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. जनवरी महीने में ही पूरे देश में 115 करोड़ ई-भुगतान किये गये.

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक पहले ही भुगतान शुल्क में कई बड़ी कटौती कर चुका है. देश के केंद्रीय बैंक ने डेबिट कार्ड से 1,000 रुपये तक के भुगतान करने पर 0.25 फीसदी, 2,000 रुपये तक के भुगतान पर 0.50 फीसदी जबकि 2,000 रुपये से ऊपर के भुगतान पर एक फीसदी, क्रेडिट कार्ड से 1,000 रुपये तक के लेन-देन पर 25 रुपये कारोबारी छूट दर (एमडीआर) तय कर दिया गया है. हरेक कार्ड से लेन-देन पर बैंक को मिलने वाला कमिशन एमडीआर कहलाता है.

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