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उत्तर प्रदेश में किसानों की ऋण माफी से बैंकों को हो सकता है 27,420 करोड़ का नुकसान : SBI

मुंबई : उत्तर प्रदेश में नयी सरकार किसान ऋण माफी के सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी वादे के तहत यदि छोटे और सीमांत किसानों के ऋण माफ करती है तो इससे ऋणदाता बैंकों को 27,420 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. साथ ही इससे राज्य के राजकोषीय गणित पर भी कुछ असर […]

मुंबई : उत्तर प्रदेश में नयी सरकार किसान ऋण माफी के सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी वादे के तहत यदि छोटे और सीमांत किसानों के ऋण माफ करती है तो इससे ऋणदाता बैंकों को 27,420 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. साथ ही इससे राज्य के राजकोषीय गणित पर भी कुछ असर पड़ सकता है. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 325 सीटें जीत कर सरकार बनाने में सफल रहने वाली भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया था.

भारतीय स्टेट बैंक की एक शोध रपट में कहा गया है कि 2016 के आंकड़ों के मुताबिक अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का उत्तर प्रदेश में 86,241.20 करोड़ रुपये का किसान ऋण बकाया है. इसमें प्रत्येक ऋण औसतन 1.34 लाख रुपये का बनता है. रपट में भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2012 के आंकड़ों का जिक्र किया गया जिसमें कहा गया है कि कृषि ऋण का 31 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसानों (ढाई एकड़ तक की जमीन वाले) को दिया गया है.

रपट के अनुसार अगर रिजर्व बैंक के इस आंकड़ों को उत्तर प्रदेश में भी लागू माना जाए तो वहां छोटे और सीमांत किसानों का ऋण माफ करने की योजना पर सरकार को 27,419.70 करोड़ रुपये माफ करने होंगे. सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जगगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी का करीब 40 प्रतिशत कृषि कार्य में लगे हुए हैं.

वहीं 2010-11 की कृषि जनगणना के अनुसार राज्य में कृषि भूमि रखने वालों में 92 प्रतिशत छोटे या सीमांत किसान हैं. स्टेट बैंक की रपट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश सरकार का कुल राजस्व 3,40,255.24 करोड़ रुपये था और यदि इसमें से 27,419.70 करोड़ रुपये ऋण माफी पर व्यय किये जाते हैं तो यह सरकार के कुल राजस्व का करीब आठ प्रतिशत होगा.

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