नयी दिल्ली : देश में एक समान कर के लिए जीएसटी लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने चार अहम विधेयक संसद में पेश किया. सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (सीजीएसटी), इंटिग्रेटेड गुडस एंड सर्विसेज टैक्स बिल (आइजीएसटी), यूनियन टेरीटरी गुडस एंड सर्विसेज टैक्स बिल (यूटीजीएसटी) और गुडस एंड सर्विसेज टैक्स (कंपनसेसन टू स्टेटस) बिल को केंद्रीय वित्त मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया. इन पर संसद की मुहर और अलग से तैयार राज्य जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जायेगी.
कांग्रेस नेता वेणुगोपाल ने जीएसटी विधेयक को पेश करने के प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि संसद की कार्यमंत्रणा समिति ने इसका जिक्र नहीं है और इसे पेश नहीं किया जाना चाहिए. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने् आपत्तियों को खारिज कर दिया.
जीएसटी में चार दरें 5, 12, 18 और 28% तय
चार बिल सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरीज जीएसटी और मुआवजा कानून को मंजूरी मिलने के बाद स्टेट जीएसटी बिल विधानसभाओं में पेश होंगे.
वित्तमंत्री की अध्यक्षतावाली और राज्यों के वित्तमंत्रियों की सदस्यतावाली जीएसटी काउंसिल ने पांच कानूनों को मंजूरी दे दी थी, जिससे राज्यों व केंद्र के बीच मौजूद मतभेद दूर हो गये थे.
ये धन-संबंधी विधेयक हैं, उच्च सदन के सुझाव लोकसभा के लिए बाध्यकारी नहीं हैं. लोकसभा उन्हें मंजूर भी कर सकती है, और खारिज भी. हालांकि सरकार इस पर राज्यसभा में व्यापक बहस कराना चाहती है, ताकि विपक्ष को आलोचना का मौका नहीं मिले.
यह कवायद 12 अप्रैल से पहले निपट जानी चाहिए, क्योंकि फिर संसद का बजट सत्र खत्म हो जायेगा. जीएसटी इससे पहले भी एक अप्रैल की एक डेडलाइन पर लागू नहीं हो पाया था.
इंटीग्रेटेड जीएसटी उत्पादों तथा सेवाओं के अंतर-राज्यीय आवगमन पर लगनेवाले टैक्स के बारे में स्थिति स्पष्ट करेगा. यूनियन टेरिटरी जीएसटी में केंद्रशासित प्रदेशों में कराधान को स्पष्ट किया जायेगा.
आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े कर सुधार से आर्थिक वृद्धि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है, माना जा रहा है कि इससे राजस्व का दायरा बढ़ जायेगा.
क्या है फॉर्मूला
विलासता के सामानों पर उपकर : शराब को छोड़ सभी सामान और सेवाओं पर कर लगेगा. दर ज्यादा से ज्यादा 40 फीसदी (20 फीसदी केंद्र और 20 फीसदी राज्य) हो सकती है. ई कॉमर्स कंपनियो की जिम्मेदारी भी तय की गयी है. इंटिग्रेटेड गुडस एंड सर्विसेज टैक्स बिल से दो राज्यों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार कर लगेगा.
जीएसटी ‘क्षतिपूर्ति कोष’ में बची राशि को केंद्र-राज्य में बांटने का प्रावधान: जीएसटी बिल के तहत बननेवाले ‘क्षतिपूर्ति कोष’ में पांच साल के अंत में बची राशि में केंद्र का हिस्सा बड़ा होगा, क्योंकि अब जीएसटी बिल में राशि को केंद्र और राज्यों के बीच बांटने का प्रावधान है, जबकि इससे पहले जो फार्मूला था वह राज्यों के पक्ष में झुकाव लिए था. लोकसभा में पेश राज्यों को मुआवजा बिल में कहा गया है कि जीएसटी क्रियान्वयन से राज्यों को होनेवाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से हर दो महीने में मुआवजा मिलेगा. मसौदे में हर तिमाही मुआवजे का भुगतान किये जाने का प्रावधान है. इससे पहले मसौदा बिल में किये प्रावधान के मुताबिक पांच साल बाद ‘जीएसटी कोष’ की राशि केंद्र और राज्यों के बीच फार्मूले बांटा जायेगा.
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