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SBI के सहयोगी बैंकों के 2800 कर्मचारियों ने मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृति

मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों के 2,800 कर्मचारियों ने अब तक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिये आवेदन किया है. हालांकि, इन बैंकों के 12,000 से अधिक कर्मचारी वीआरएस के योग्य हैं. स्टेट बैंक की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने सोमवार को यह कहा. उन्‍होंने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अब तक […]

मुंबई : भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों के 2,800 कर्मचारियों ने अब तक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिये आवेदन किया है. हालांकि, इन बैंकों के 12,000 से अधिक कर्मचारी वीआरएस के योग्य हैं. स्टेट बैंक की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने सोमवार को यह कहा. उन्‍होंने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अब तक केवल 2,800 कर्मचारियों (सहयोगी बैंकों के) ने ही वीआरएस के लिये आवेदन किया है. योजना पांच अप्रैल तक खुली है.’

भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों – स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच) स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी) और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (एसबीटी) के साथ-साथ भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का एक अप्रैल 2017 से स्टेट बैंक में विलय हो गया है.

भट्टाचार्य ने कहा सहयोगी बैंकों के कुल मिलाकर करीब 12,500 कर्मचारी वीआरएस लेने के योग्य हैं. बैंक ने वीआरएस लेने के लिये कुछ मानदंड तय किये हैं. इनमें जैसे कि वीआरएस लेने वाला कर्मचारी का सेवाकाल 20 वर्ष और उसकी आयु 55 वर्ष होनी चाहिये. पांच सहयोगी बैंकों और बीएमबी को मिलाकर स्टेट बैंक के कर्मचारियों की कुल संख्या 2,70,011 तक पहुंच गई है. इसमें 69,191 कर्मचारी सहयोगी बैंकों और बीएमबी के हैं.

सहयोगी बैंकों के विलय के बाद संपत्ति के लिहाज से भारतीय स्टेट बैंक की गणना दुनिया के 50 प्रमुख बैंकों में होने लगी है. बैंक के ग्राहकों की संख्या 37 करोड़ और शाखा नेटवर्क 24,000 तक पहुंच गया है. बैंक के एटीएम की संख्या 59,000 हो गयी.

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