नयी दिल्ली : संसद ने ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए गुरुवार को जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी. साथ ही सरकार ने आश्वस्त किया कि नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को सुरक्षित रखा जायेगा. कृषि पर कर नहीं लगेगा. जिन खाद्य वस्तुओं पर फिलहाल शून्य कर है, जीएसटी में भी कर नहीं लगेगा. राज्यसभा ने ध्वनिमत से चार विधेयकों को मंजूरी दी.
लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष की इन आशंकाओं को निर्मूल बताया कि इन विधेयकों के जरिये कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि यह देश का एकमात्र ऐसा कर होगा जिसे राज्य एवं केंद्र एक साथ एकत्र करेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की गयी हैं. लक्जरी कारों, बोतल बंद सॉफ्ट ड्रिंक, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके ऊपर सेस भी लगाने की बात है. 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला सेस मुआवजा कोष में जायेगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जायेगी. यूपीए सरकार के दौरान जीएसटी पर आम सहमति नहीं बन सकी, क्योंकि नुकसानवाले राज्यों को मुआवजे की पेशकश नहीं थी.
जीएसटी में रीयल इस्टेट को शामिल नहीं किये जाने पर कहा कि इस क्षेत्र से राज्यों को काफी राजस्व मिलता है. इसलिए राज्यों की राय के आधार पर इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है. परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है, जबकि दो तिहाई राज्यों को है. समन्वित जीएसटी या आइजीएसटी के जरिये वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा.
राज्यसभा से पास, एक जुलाई से लागू होगा
केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017, एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017, संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017, और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017.
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